Aarti Shri Bhagwat Geeta: आज गीता जयंती है. भगवान श्री कृष्ण की आरती से पहले आज श्रीभगवद् गीता आरती का बहुत महत्व है. मार्गशीर्ष माह में गीता का पाठ करना, आरती पढ़ने का बेहद पुण्य बताया गया है. भगवद् गीता भारतीय सनातन धर्म का एक महान ग्रंथ है, जिसे श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद के रूप में जाना जाता है. गीता के श्लोकों में जीवन के गूढ़ रहस्यों, धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान का सार समाहित है. गीता की आरती का धार्मिक महत्व अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक है. आरती के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति और गीता के सार का गायन किया जाता है, जिससे मनुष्य का मन पवित्र होता है और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है.
भगवद् गीता आरती (Aarti Shri Bhagwat Geeta)
जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते .
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्तिहरा .
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा ॥
जय भगवद् गीते...॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि,
निर्मल मलहारी .
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुखकारी ॥
जय भगवद् गीते...॥
राग-द्वेष-विदारिणि,
कारिणि मोद सदा .
भव-भय-हारिणि,
तारिणि परमानन्दप्रदा ॥
जय भगवद् गीते...॥
आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनि तम रजनी .
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी ॥
जय भगवद् गीते...॥
समता, त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी .
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी ॥
जय भगवद् गीते...॥
दया-सुधा बरसावनि,
मातु! कृपा कीजै .
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै ॥
जय भगवद् गीते...॥
जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते .
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥
भगवद् गीता का मूल संदेश "कर्म करो, फल की चिंता मत करो" है. गीता की आरती के माध्यम से भक्तों को यह प्रेरणा मिलती है कि वे अपने कर्मों को धर्म के मार्ग पर चलकर निष्काम भाव से करें. गीता आरती करने से घर या मंदिर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक हो जाता है. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)