Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान और नीतिशास्त्री थे. उन्होंने अपनी नीतिशास्त्र में कर्ज के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के एक महान विद्वान, नीतिशास्त्री और अर्थशास्त्री थे. उनकी नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं और जीवन के हर पहलू पर लागू होती हैं, जिसमें धन प्रबंधन भी शामिल है. चाणक्य के अनुसार, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं. वे अपनी आय से अधिक खर्च करते हैं, अनावश्यक चीजों पर पैसा बर्बाद करते हैं, और भविष्य के लिए बचत नहीं करते हैं.
चाणक्य के अनुसार:
अनुचित खर्च: जो लोग अपनी आय से अधिक खर्च करते हैं, वे अक्सर कर्ज में डूब जाते हैं.
आर्थिक योजना का अभाव: जो लोग अपनी आय और खर्च का हिसाब नहीं रखते हैं, वे भी कर्ज में डूब सकते हैं.
आलस्य: जो लोग काम करने में आलसी होते हैं, वे अक्सर कर्ज पर निर्भर रहते हैं.
अनुशासनहीनता: जो लोग अनुशासनहीन होते हैं, वे अक्सर कर्ज चुकाने में देरी करते हैं.
अज्ञानी: जो लोग वित्तीय मामलों में अज्ञानी होते हैं, वे अक्सर गलत निर्णय लेते हैं और कर्ज में डूब जाते हैं.
चाणक्य के अनुसार, कर्ज से बचने के लिए अपनी आय से कम खर्च करें. अपनी आय और खर्च का हिसाब रखें. कठोर परिश्रम करें और अपनी आय बढ़ाने का प्रयास करें. वित्तीय मामलों में अनुशासन रखें. वित्तीय मामलों में ज्ञान प्राप्त करें. चाणक्य के अनुसार, कर्ज एक बोझ है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से परेशान करता है. कर्ज से बचने के लिए हमें चाणक्य की नीतिशास्त्र में बताए गए उपायों का पालन करना चाहिए.
चाणक्य ने कहा है कि "कर्ज लेना जहर के समान है." चाणक्य ने यह भी कहा है कि "जो व्यक्ति कर्ज चुकाने में असमर्थ है, उसे कर्ज नहीं लेना चाहिए."
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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