Dangerous For Dharma: चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र ग्रंथों में धर्म के बारे में कई बातें कही हैं, जिनमें से कुछ आज के समय में भी प्रासंगिक हैं. चाणक्य के अनुसार, धर्म की ये बातें दुनिया के लिए सबसे खतरनाक हैं. चाणक्य का मानना था कि धर्म एक व्यक्तिगत मार्गदर्शक होना चाहिए, न कि सामाजिक नियंत्रण का साधन. उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे धर्म का पालन ईमानदारी और सच्चे विश्वास के साथ करें, न कि दिखावे और पाखंड के लिए. चाणक्य का मानना था कि धर्म का उपयोग नैतिकता, सदाचार और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब धर्म का दुरुपयोग किया जाता है या गलत तरीके से समझा जाता है, तो यह समाज और राष्ट्र के लिए हानिकारक हो सकता है. चाणक्य के विचार 2300 साल पहले के हैं, और आज के समय में उनकी व्याख्या विवादास्पद हो सकती है. धर्म एक जटिल विषय है, और इसके बारे में कई अलग-अलग दृष्टिकोण हैं.
1. कट्टरपंथ और असहिष्णुता
चाणक्य ने कट्टरपंथ और असहिष्णुता को धर्म के लिए सबसे बड़ा खतरा माना. उन्होंने कहा कि जब लोग अपनी मान्यताओं पर अंधा विश्वास रखते हैं और दूसरों के विचारों को स्वीकार करने से इनकार करते हैं, तो यह सामाजिक विभाजन, संघर्ष और हिंसा की ओर ले जाता है. किसी विशेष धर्म के प्रति अत्यधिक लगाव और अन्य धर्मों के प्रति असहिष्णुता हिंसा और संघर्ष का कारण बन सकती है.
2. पाखंड और ढोंग
चाणक्य ने उन लोगों की आलोचना की जो धार्मिक अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, लेकिन उनके जीवन में सदाचार और नैतिकता का अभाव होता है. उन्होंने कहा कि ऐसा पाखंड धर्म की सच्ची भावना को कमजोर करता है और लोगों को गुमराह करता है. जब लोग बाहरी तौर पर धार्मिक दिखने का प्रयास करते हैं, लेकिन अंदर से वे पापी होते हैं, तो यह समाज के लिए हानिकारक होता है.
3. अंधविश्वास और अज्ञानता
चाणक्य ने अंधविश्वास और अज्ञानता को धर्म के लिए खतरनाक माना. उन्होंने कहा कि जब लोग तर्क और विवेक के बजाय अंधविश्वासों और अंधविश्वासों पर भरोसा करते हैं, तो यह उन्हें शोषण और हेरफेर के लिए असुरक्षित बना देता है. तर्कहीन मान्यताओं और अंधविश्वासों पर आधारित धर्म लोगों को गुमराह कर सकता है और उन्हें शोषण के लिए कमजोर बना सकता है.
4. धर्म का दुरुपयोग
चाणक्य ने उन लोगों की निंदा की जो धर्म का उपयोग अपनी शक्ति और स्वार्थों को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं. उन्होंने कहा कि जब धर्म का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है, तो यह समाज में भ्रष्टाचार और अन्याय को बढ़ावा देता है. कुछ लोग अपनी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने के लिए धर्म का दुरुपयोग करते हैं. यह लोगों को शोषित कर सकता है और समाज में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है.
5. धार्मिक कट्टरता
चाणक्य ने धार्मिक कट्टरता को खतरनाक माना. उन्होंने कहा कि जब लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं को दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं, तो यह संघर्ष और हिंसा की ओर ले जाता है. जब कोई समाज धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन नहीं करता है, तो धर्म राजनीति और सामाजिक जीवन में अत्यधिक प्रभाव डाल सकता है, जिससे असमानता और अन्याय हो सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau