Garuda Purana: जब किसी की मृत्यु का समय आता है तो आत्मा का शरीर से बाहर निकलना स्वाभाविक है. कई बार ऐसा होता है कि आत्मा शरीर छोड़ने में असमर्थ होती है. यह प्रक्रिया मृत्यु लटकन कहलाती है, जिसमें आत्मा शरीर से निकलने की कोशिश करती है लेकिन किसी कारणवश रुक जाती है. जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो ये कई बिंदुओं से बाहर निकल सकती है. अक्सर यह माना जाता है कि आत्मा मूलाधार चक्र से बाहर निकलती है और इसीलिए मृत शरीर के पैर की उंगलियों को बांधा जाता है ताकि आत्मा वापस न आ सके. कभी-कभी आत्मा सिर के ताज (क्राउन चक्र) से भी निकलती है. प्राचीन मिस्र में जब उनके राजा मरते थे, तो उनके शरीर को तेल में रखा जाता था ताकि आत्मा ठीक से बाहर निकल सके. एक्सपर्ट की मानें, तो जहां से आत्मा शरीर छोड़ती है शरीर का वह हिस्सा अगले जन्म में कमजोरी बन जाता है.
मृत्यु से पहले चेहरे में परिवर्तन
मृत्यु से 72 घंटे पहले शरीर में कुछ प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, जिससे चेहरे के भाव बदलने लगते हैं. कई बार लोग अपने चेहरे पर अपने पूर्वजों के चेहरे के भाव देखते हैं, जो उन्हें लेने आते हैं. यह भी देखा गया है कि मृत्यु से पहले व्यक्ति खुद को थोड़ा मुक्त महसूस करता है और अपने आस-पास के लोगों से कहता है कि वह अब स्वतंत्र हो रहा है.
मृत्यु लटकन क्या होती है?
कई बार आत्मा शरीर छोड़ने में असमर्थ होती है. शरीर बहुत कमजोर भी हो चुका हो और व्यक्ति मृत्यु शैय्या पर भी हो तो भी आत्मा शरीर से अलग नहीं होगी. यह स्थिति तब उत्त्पन्न होती है जब आत्मा को लगता है कि उसका कोई अधूरा काम रह गया है.
आत्मा और शरीर का संघर्ष
कई बार आत्मा इतनी मजबूत होती है कि वह शरीर में लौटना चाहती है भले ही शरीर अब उस आत्मा को धारण करने के योग्य न हो. ऐसे में मीडियम का काम होता है आत्मा को समझाना कि अब शरीर उसके लिए उपयुक्त नहीं है. लेकिन आत्मा कई बार इसे स्वीकार नहीं करती और कहती है कि शरीर ठीक हो जाएगा. आत्मा का मानना होता है कि जब तक उसका कार्य पूरा नहीं होता उसे शरीर में रहना चाहिए. आत्मा का शरीर छोड़ने का निर्णय केवल शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मि और भावनात्मक स्तर पर भी गहरा होता है. कई बार आत्मा किसी अधूरे काम के कारण शरीर छोड़ने में असमर्थ होती है और यह प्रक्रिया मृत्यु लटकन कहलाती है. यह आत्मा और शरीर के बीच का संघर्ष होता है जिसमें आत्मा को यह समझाने की आवश्यकता होती है कि अब उसका समय समाप्त हो गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)