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Haj Yatra 2024 : आज से शुरू हुई हज यात्रा, जानें 5 दिनों की यात्रा में किस दिन क्या होगा 

Haj Yatra 2024 : हज यात्रा 5 दिनों तक चलती है. इस साल 14 जून से शुरू हो रही हज यात्रा में किस दिन क्या होगा और इस्लाम धर्म के अनुसार हज यात्रियों के लिए क्या नियम हैं आइए सब जानते हैं.

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Inna Khosla
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Haj Yatra 2024

Haj Yatra 2024( Photo Credit : News Nation)

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Haj Yatra 2024 : सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए हर साल दुनियाभर से लोखों लोग जुटते हैं. इस्लाम के पांच फर्ज़ में से एक फर्ज हज है. बाकि के चार फर्ज है कलमा, रोज़ा, नमाज़ और जकात हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार इस फर्ज़ को निभाने का दायित्व है. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक पैगंबर इब्राहिम को अल्लाह ने एक तीर्थ स्थान बनाकर समर्पित करने के लिए कहा था. इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने पत्थर की एक छोटी सी घनाकार इमारत बनाई थी. इसी को खौवा कहा जाता है. मुसलमानों का ऐसा मानना है कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद को अल्लाह ने कहा कि वो क़ाबा को पहले जैसी स्थिति में लाये और वहाँ केवल अल्लाह की इबादत होने दें. साल 628 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की थी. यह इस्लाम की पहली तीर्थ यात्रा बनी और इसी यात्रा में पैगंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया. इसी को हज कहा जाता है.

कब है हज यात्रा 2024 ?

साल 2024 में हज यात्रा 14 जून से लेकर 19 जून तक की जाएगी.  हज में 5 दिन लगते हैं और ये ईद उल अजहा यानी बकरीद के साथ पूरी होती है.

हज यात्रा के नियम 

कुछ समय पहले तक 18 साल से 65 साल की उम्र के लोग ही हज पर जा सकते हैं.

भारत के मामले में बात करें तो आमतौर पर बच्चे और महिलाओं को महरम के साथ ही हज पर जाने की अनुमति है. महरम का मतलब होता है महिला तीर्थयात्री के साथ पुरुष साथी, जो पूरे हज यात्रा के दौरान महिला के साथ रहे. 

पिछले कुछ साल में 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के ही हज करने की अनुमति दी गई है. महिलाओं को पांच महिलाओं का समूह बनाकर हज पर जाने की मंजूरी दी गई है. 

हज पर जाकर मुसलमान आखिर क्या क्या करते हैं? 

हज यात्री पहले सऊदी अरब के जद्दा शहर पहुंचते हैं. वहां से वो बस के जरिए मक्का शहर जाते हैं. लेकिन मक्का से ठीक पहले एक खास जगह जहां से हज की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू होती है, मक्का शहर के आठ किलोमीटर के दायरे से इस विशेष जगह की शुरुआत होती है. इस विशेष जगह को मिखात कहते हैं. हज पर जाने वाले सभी यात्री यहां से एक खास तरह का कपड़ा पहनते हैं जिसे एहराम कहा जाता है. हालांकि कुछ लोग बहुत पहले से ही एहराम पहन लेते हैं. एहराम सिला हुआ नहीं होता है बल्कि ये सफेद रंग का कपड़ा होता है. महिलाओं को अहराम पहनने की जरूरत नहीं होती. वो परंपरागत सफेद रंग के कपड़े पहनती है और अपना सिर ढकती है. 

5 दिनों की हज यात्रा में किस दिन क्या होता है ?

मक्का पहुंचकर मुसलमान सबसे पहले उमरा करते हैं. उमरा एक छोटी धार्मिक प्रक्रिया है. हज एक विशेष महीने में किया जाता है, लेकिन उमरा साल में कभी भी किया जा सकता है. लेकिन जो लोग भी हज पर जाते हैं वो आम तौर पर उमरा भी करते हैं. हालांकि ये जरूरी नहीं है. आधिकारिक तौर पर हज की शुरुआत इस्लामिक महीने (according to islam dharma) की आठ तारीख से होती है जो इस साल 14 जून है. 

पहला दिन: इस्लामिक आठ तारीख को हाजी मक्का से करीब 12 किलोमीटर दूर मीणा शहर जाते हैं, 8 की रात यानि हज यात्रा का पहला दिन हाजी मीना में गुजारते हैं.

दूसरा दिन: अगली सुबह यानि नौ तारीख को अराफात के मैदान पहुंचते हैं. हज यात्री अराफात के मैदान में खड़े होकर अल्लाह को याद करते हैं और उनसे अपने गुनाहों की मौत माफी मांगते हैं, शाम को शहर जाते हैं और नौ तारीख की रात में वही रहते हैं. 

तीसरा दिन: 10 तारीख की सुबह यात्री फिर मीना शहर लौटते हैं. उसके बाद वो एक खास जगह पर जाकर सांकेतिक तौर पर शैतान को पत्थर मारते हैं, जिसे जमारत कहा जाता है. शैतान को पत्थर मारने के बाद हाजी एक बकरे या भेड़ की कुर्बानी देते हैं. उसके बाद मर्द अपना सिर मुंडवाते हैं और महिलाएं अपने थोड़े से बाल कटवाती हैं. उसके बाद यात्री मक्का वापस लौटते हैं और ख्वाबा के सात चक्कर लगाते हैं जिसे धार्मिक तौर पर तवाफ कहा जाता है. इसी दिन यानी की 10 तारीख को पूरी दुनिया के मुसलमान ईद उल अजहा या बकरीद का त्योहार मनाते हैं. 

चौथा और पांचवा दिन: तवाफ के बाद हज यात्री फिर मीना लौटते हैं और वहां 2 दिन और रहते हैं. महीने की 12 तारीख को आखिरी बार हज यात्री कबा का तवाफ करते हैं और दुआ करते हैं. इस तरह हज की प्रक्रिया पूरी होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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