देश में 22 अगस्त रविवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. भाई- बहन का यह पवित्र त्योहार को साल सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन भी देता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी. धार्मिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी. राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था. राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया.
यह भी पढ़ेः Raksha Bandhan: जानें इन देवताओं को राखी बांधने से होती है सभी मुरादें पूरी
तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं. सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं. भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे. भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई. तब नारद जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया. नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए.
यह भी पढ़ेः शुभ संयोग के साथ मनाया जाएगा रक्षा बंधन का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त
नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं. राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं. राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं. माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है. ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है.
HIGHLIGHTS
- भाई- बहन का यह पवित्र त्योहार को साल सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है
- धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की
- सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी
Source : News Nation Bureau