Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज वृंदावन, उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक प्रसिद्ध हिंदू संत हैं. वह राधा-कृष्ण भक्ति के लिए जाने जाते हैं और उनकी शिक्षाएं ब्रज क्षेत्र और पूरे भारत में लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं. 1996 में, उन्होंने 16,000 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा शुरू की, जो 7 साल तक चली. इस यात्रा के दौरान उन्होंने पूरे भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा किया और लोगों को राधा-कृष्ण भक्ति का संदेश दिया. 1962 में जन्मे प्रेमानंद महाराज की छोटी उम्र से ही उन्हें अध्यात्म और भक्ति में गहरी रुचि थी. 2003 में, उन्होंने वृंदावन में "श्री हित राधा केली कुंज परिकर" नामक एक आश्रम की स्थापना की. यह आश्रम भक्तों के लिए शिक्षा, आश्रय और सेवा प्रदान करता है. प्रेमानंद महाराज प्रेम, करुणा और भक्ति के महत्व पर बल देते हैं. वह लोगों को सदाचारी जीवन जीने और भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति में लीन रहने की प्रेरणा देते हैं. जब एक भक्त ने सत्संग में उनसे ये पूछा की महाराज लोग हाथ उठाकर हर हर महादेव क्यों कहते हैं तो उन्होने इसका बेहद सुंदर उत्तर दिया.
महाराज जी ने शरणागति का महत्व समझाते हुए कहा कि जब हम हाथ उठाकर हर हर महादेव या जय जय सियाराम बोलते हैं, तो इसका मतलब है कि हम प्रभु की शरण में हैं. उन्होंने इसे सरेंडर से जोड़ा और बताया कि जब हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचता, तो हम प्रभु की शरण में जाते हैं. महाराज जी ने इसे डकैत के उदाहरण से समझाया, जो गोली न बचने पर सरेंडर कर देता है. शरणागति का यह संदेश हमारे मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार को प्रभु की शरण में ले जाता है.
उन्होंने मजाक करते हुए ये कहा- जब इको गोली बंदूक में नहीं बजती है ना तो डकैत क्या करता है, सरेंडर. सिलेंडर की सरेंडर... हमें अंग्रेजी कम आती है. अब एको गोली रह गयी तो अब समझा के सामने से तो जान बचानी है. अब आपकी शरण में है तो जय जय श्री राधे या जय जय सियाराम या नमक पार्वती फतेहार हर हर महादेव करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau