Shakun Shastra: मनुष्य जीवन में अनेक परंपराएं और धारणाएं होती हैं जो उसके व्यवहार और आचरण को प्रभावित करती हैं. एक ऐसी परंपरा और धारणा है कि सिर पर कौआ बैठना अशुभ होता है. कई लोग इसे मातृभाषा और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से मानते हैं, जबकि कुछ इसे केवल एक पुरानी कल्पना मानते हैं. इस विवादित धारणा को समझने के लिए हमें इसके पीछे के कारणों को जानना महत्वपूर्ण है. कौआ भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिधि में एक महत्वपूर्ण पक्ष है. हिंदू धर्म में कौआ को अंधकुपात्र, यातना देने वाला और अशुभ संकेत माना जाता है. इसलिए, सिर पर कौआ बैठना का मतलब अशुभता और दुर्भाग्य का संकेत माना जाता है. इसके पिछे एक कदम से बढ़कर एक अन्य कदम तक कई कल्पनाएं और मान्यताएं हैं जो इसे समर्थन करती हैं.
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कुछ विद्वानों का मानना है कि यह प्राचीन समयों में उत्तर भारतीय लोगों ने कौए को अशुभ माना है क्योंकि इसे अंधकुपात्र के साथ जोड़ा गया था और उन्हें यह लगता था कि कौआ लोगों के लिए दुर्भाग्य लेकर आता है. इसके अलावा, कुछ लोग मानते हैं कि कौआ अंधकुपात्र में गंदा खाता है और यह स्वच्छता के मामले में अशुभ हो सकता है.
हालांकि, आजकल के युग में बहुत ही विचारशील और अनुसंधानप्रिय दृष्टिकोण से इस परंपरा को नकारात्मक माना जा रहा है. कुछ लोग इसे केवल एक पुरानी धारणा मानते हैं जो आजकल की जीवनशैली में स्थान नहीं रखती. वे यह बताते हैं कि सिर पर कौआ बैठना का अर्थ व्यक्ति की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है जो उसे अशुभ मानने का कारण बन सकता है.
इस प्रकार, सिर पर कौआ बैठने की परंपरा एक रूप में समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी हो सकती है, जबकि दूसरी ओर इसे केवल एक पुरानी कल्पना मानने वाले व्यक्तियों के लिए एक आधुनिक दृष्टिकोण का प्रतीक भी बना सकती है. इस परंपरा के माध्यम से हमें हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को समझने का एक नया पहलुआ भी मिलता है.
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Source : News Nation Bureau