वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए कुछ नियम और दिशाएं निर्धारित हैं. पूर्वजों की तस्वीर लगाने के कई कारण हो सकते हैं. यह एक संबंध की यादगार और स्मृति को जीवंत रखने का एक तरीका होता है. इसके साथ ही, यह परंपरा और वंशवाद को मानवता के सम्मान और सम्मान का एक प्रतीक भी मानी जाती है. पूर्वजों की तस्वीरें लगाने से उनकी कृतज्ञता और सम्मान का भाव भी दिखाया जाता है. यह एक परंपरागत प्रथा भी है जो परिवार की अदालत और एकता को बनाए रखने में मदद करती है. अतिरिक्त रूप से, इससे यह भी दिखाया जाता है कि हम अपने इतिहास, संस्कृति और परंपराओं को महत्व देते हैं और उनके मूल्यों को समझते हैं.
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दिशा:
उत्तर दिशा: पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए सबसे शुभ दिशा उत्तर दिशा मानी जाती है.
दक्षिण दिशा: यह दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है, इसलिए पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए यह भी एक उपयुक्त दिशा है.
पूर्व दिशा: यह दिशा देवी-देवताओं की दिशा मानी जाती है, इसलिए पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए यह उचित नहीं है.
पश्चिम दिशा: यह दिशा नकारात्मक ऊर्जाओं से जुड़ी मानी जाती है, इसलिए पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए यह भी उचित नहीं है.
वास्तु शास्त्र में तस्वीरों के आकार उसके लाभ
तस्वीर का आकार: पूर्वजों की तस्वीर का आकार घर के अन्य सदस्यों की तस्वीरों के समान होना चाहिए.
तस्वीर का फ्रेम: तस्वीर का फ्रेम सादा और लकड़ी का होना चाहिए.
तस्वीर का स्थान: तस्वीर को घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं लगाना चाहिए.
तस्वीर की सफाई: पूर्वजों की तस्वीर को नियमित रूप से साफ करना चाहिए.
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पूर्वजों की तस्वीर लगाने के कुछ लाभ:
पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव होता है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए उपयुक्त दिशा और नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है. Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
Source : News Nation Bureau