आज 18 सितंबर से अधिकमास (Adhik maas) या मलमास (Malmas) शुरू हो गया है. आज प्रतिपदा तिथि पर चंद्रमा और सूर्य कन्या राशि में विराजमान होंगे. इस महीने को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. अधिकमास में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. हिंदू धर्म में इस महीने लोग पूजा-पाठ, भगवतभक्ति, व्रत-उपवास, जप और योग जैसे धार्मिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं. अधिकमास में धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है. हर तीन साल में आने वाले अधिक मास के कुछ खास नियम हैं, जिनका पालन करने से भगवान विष्णु खुश होते हैं. बता दें कि भगवान विष्णु को ही अधिकमास का स्वामी माना जाता है.
भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता तय किए. अधिकमास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ, तो इस अतिरिक्त मास का अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार नहीं हो रहे थे. ऐसे में ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से निवेदन किया कि इस महीने के स्वामी वे खुद ही बन जाएं, जिसे भगवान विष्णु ने स्वीकार कर लिया. इस वजह से अधिकमास या मलमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाने लगा. बता दें कि पुरुषोत्तम भगवान विष्णु को ही दूसरा नाम है.
अधिकमास में न करें ये काम
- अधिकमास में शुभ कार्यों जैसे शादी-विवाह पर पांबदी होती है. अधिकमास में किए गए रिश्ते से किसी भी प्रकार का सुख नहीं होता. पति-पत्नी में अनबन रहती है. शादी या तो अधिकमास से पहले करें या फिर बाद में.
- अधिक मास में कोई भी नया काम न करें. इस महीने नया बिजनेस करने से आर्थिक परेशानियों को बढ़ावा मिलता है. पैसों की तंगी बनी रहती है.
- अधिकमास में मुंडन, कर्णवेध या फिर अन्य कोई संस्कार नहीं करना चाहिए. गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए. संपत्ति का क्रय या फिर विक्रय भी नहीं करना चाहिए. ऐसी संपत्ति भविष्य में नुकसान करा सकती है.
अधिकमास में करें ये काम
- व्रत, दान, पूजा, हवन, ध्यान करें. इससे आपको पापों से मुक्ति मिलती है. इस महीने किए गए सभी शुभ कार्यों का फल कई गुना मिलता है. इस महीने भागवत कथा सुनें और तीर्थ स्थलों पर जाकर स्नान करें.
- अधिकमास में दान का विशेष महत्व है. दीपदान करना अति शुभ माना गया है. धार्मिक पुस्तकों का दान भी शुभ बताया गया है. अधिक मास के पहले दिन घी का दान फलदायी माना जाता है.
Source : News Nation Bureau