अधिक मास 18 सितंबर से शुरू हो चुका है जो 16 अक्टूबर तक रहेगा. अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु होते हैं, लिहाजा अधिकमास को भगवान विष्णु के दूसरे नाम पुरुषोत्तम (Purushottam maas) मास के नाम से भी जाना जाता है. आम तौर पर अधिकमास (Adhik maas 2020) में शुभ कार्य न करने की मान्यता है. हालांकि जानकारों का कहना है कि अधिक मास में कुछ विशेष शुभ कार्यों (Shubh karya) से परहेज करने की जरूरत नहीं है. अधिक मास में कुछ विशेष शुभ काम किए जा सकते हैं. अधिक मास की एक और खास बात यह है कि इस महीने पैदा हुए बच्चे अधिक भाग्यशाली होते हैं, ऐसा जानकार बताते हैं.
इस समय अधिकमास में छह ग्रह उच्च के चल रहे हैं. ऐसे दौर में पैदा हुए बच्चे बहुत भाग्यशाली होते हैं और इन बच्चों के पैदा होने से मां-बाप का भी भाग्योदय होगा. अधिक मास में यदि आप महामृत्युंजय जाप या हवन करवाना चाहते हैं, तो करवा सकते हैं. मलमास में घर में पूजा-पाठ या हवन करने की मनाही नहीं है.
इसी तरह बच्चों का जन्मदिन, शादी की सालगिरह या घर में छोटी-मोटी पूजा की जा सकती है. खुशी के पलों को सेलिब्रेट करने की कोई मनाही अधिकमास में नहीं है. गोद भराई की रस्म पर भी अधिकमास में कोई रोक नहीं है. अधिकमास होने के बाद भी आप विधिविधान से ये काम संपन्न कर सकते हैं.
हालांकि अधिकमास में कोई भी पूजा करने से पहले भगवान विष्णु का ध्यान जरूर कर लें और उनकी भी पूजा करें, क्योंकि अधिकमास भगवान विष्णु का महीना है और इस महीने के स्वामी वहीं हैं. 'ओम नमो: भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप जरूर करें और लक्ष्मी नारायण मंदिर में भोग भी लगाएं.
अधिक मास में जिन कार्यों की मनाही की गई है, उसमें शादी, मुंडन, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, गहनों की खरीदारी या मोटर गाड़ी की खरीदारी आदि शामिल है. इनके अलावा कोई नया काम न करें, नया बिजनेस न करें, नए बिजनेस में हाथ न डालें.
Source : News Nation Bureau