492 साल बाद श्रीरामजन्म भूमि पर भी 'खुशियों' के दीप जलेंगे

प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव और दिवाली ऐतिहासिक होगी. इसका मुख्य कारण है करीब पांच सदी बाद श्रीराम जन्म भूमि पर मन्दिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार दीपोत्सव होने जा रहा है, जो लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है.

author-image
Sunil Mishra
एडिट
New Update
Diwali 2020

5 सदी बाद श्रीराम जन्मभूमि पर साकार होगा भव्य दीपोत्सव का सपना( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव और दिवाली ऐतिहासिक होगी. इसका मुख्य कारण है करीब पांच सदी बाद श्रीराम जन्म भूमि पर मन्दिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार दीपोत्सव होने जा रहा है, जो लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है. करीब 492 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब श्रीरामजन्म भूमि पर भी 'खुशियों' के दीप जलेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से गहरा जुड़ाव जगजाहिर है. लिहाजा 'अयोध्या दीपोत्सव' को वैश्विक उत्सव बनाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हर व्यस्था पर उनकी नजर है. कहां, कब क्या होना है इसका प्रस्तुतिकरण भी वह देख चुके हैं.

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज कुंभ की भव्यता-दिव्यता और स्वच्छता के लिए वैश्विक पटल पर सराहना पा चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब दीपोत्सव को वैश्विक आयोजन बनाने में पूरी शिद्दत से जुटे हैं. 11 से 13 नवम्बर तक आयोजित होने वाले दीपोत्सव की एक-एक तैयारी पर सीएम की नजर है. इस बार योगी सरकार का अयोध्या में यह चौथा दीपोत्सव है. अन्य दीपोत्सव की तरह इसमें भी दीपकों के मामले में रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है.

मालूम हो कि करीब पांच शताब्दी पूर्व 1527 में मुगल सूबेदार मीर बांकी के द्वारा अयोध्या जन्मभूमि पर कब्जा किया गया था. इसके बाद से अब देश ही नहीं, दुनिया के करोड़ों रामभक्तों का श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण का सपना पूरा हो रहा है. ऐसे में इस दीपोत्सव को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है. हालांकि कोरोना के नाते इस अवसर पर अयोध्या में सीमित लोग ही जाएंगे, पर वर्चुअल रूप से हर कोई घर बैठे अयोध्या के भव्य और दिव्य दीपोत्सव का आनंद ले सकता है.

आजादी के पहले से लेकर अब तक मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. मसलन 1949 को जब विवादित ढांचे के पास रामलला का प्रकटीकरण हुआ, तो पीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ कुछ साधु-संतों के साथ वहां संकीर्तन कर रहे थे. उनके शीष्य ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ 1984 में गठित श्रीरामजन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष रहे. उनकी अगुआई में अक्टूबर 1984 में लखनऊ से अयोध्या तक धर्मयात्रा का आयोजन हुआ. उस समय लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में एक बड़ा सम्मेलन भी हुआ था. एक फरवरी 1986 में जब फैजाबाद के जिला जज कृष्ण मोहन पांडेय ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा अर्चना के लिए ताला खोलने का आदेश दिया था, पीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथजी वहां मौजूद थे. संयोगवश जज भी गोरखपुर के थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह भी गोरखपुर के ही थे.

1989 में 22 सितंबर को दिल्ली में विराट हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें नौ नवंबर को जन्मभूमि पर शिलान्यास कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, उसके अगुआ भी अवैद्यनाथजी ही थे. तय समय पर दलित समाज के कामेश्वर चौपाल से मंदिर का शिलान्यास करवाकर उन्होंने बहुसंख्यक समाज को सारे भेदभाव भूलकर एक होने का बडा संदेश दिया था. हरिद्वार के संत सम्मेलन में उन्होंने 30 अक्टूबर 1990 से मंदिर निर्माण की घोषणा की. 26 अक्टूबर को इस बाबत अयोध्या आते समय पनकी में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. 23 जुलाई 1992 को मंदिर निर्माण के बाबत उनकी अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव से मिला था. सहमति न बनने पर 30 अक्टूबर 1992 को दिल्ली की धर्म संसद में छह दिसंबर को मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा की घोषणा कर दी गई थी.

अवैद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने पर बतौर पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने इस जिम्मेवारी को बखूबी संभाला. उन्होंने अपने गुरु के सपनों को अपना बना लिया. उत्तराधिकारी, सांसद, पीठाधीश्वर और अब मुख्यमंत्री के रूप में भी.

मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अयोध्या और राममंदिर को लेकर उनका जज्बा और जुनून पहले जैसा ही रहा. अयोध्या जाने की बात तो दूर, कोई भी राजनेता उसका नाम नहीं लेना चाहता था. मसलन तीन दशकों के दौरान मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी में से कोई भी कभी अयोध्या नहीं गया. बतौर मुख्यमंत्री उन्हें जब भी अवसर मिला अयोध्या गये. रामलला विराजमान के दर्शन किए और अयोध्या के विकास के लिए जो भी संभव था किया. इनके ही समय में सुप्रीम कोर्ट ने मन्दिर के पक्ष में फैसला दिया. पांच अगस्त 2020 को मन्दिर के भूमि पूजन के बाद से अयोध्या के कायाकल्प की तैयारी है. ऐसे में इस दीपोत्सव और दीवाली का बेहद खास होना स्वाभाविक है.

Source : IANS

Yogi Adityanath Ayodhya एमपी-उपचुनाव-2020 Ram Temple diwali दिवाली Deepotsav Diwali 2020 Ram janmbhoomi
Advertisment
Advertisment
Advertisment