Akshaya Tritiya 2022, Shri Banke Bihari Charan Shringar: अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाई जाती है. इस बार यह त्योहार 3 मई, मंगलवार के दिन पड़ रहा है. माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचागं देखने की जरूरत नहीं है. अक्षय तृतीया पर किए गए कार्यों का कई गुना फल प्राप्त होता है. अक्षय तृतीया को जहां एक ओर शुभ मुहूर्त और शुभ खरीदारी से जोड़ कर देखा जाता है वहीं इस पर्व का एक तार वृन्दावन से भी जुड़ा हुआ है. अक्षय तृतीया के दिन ही वृन्दावन के स्वामी श्री बांकें बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं. माना जाता है कि श्री बांकें बिहारी के चरणों के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में धन धान्य की सम्पन्नता बनी रहती है. ऐसे में चलिए जानते हैं इस बार बांकें बिहारी के सर्वांग दर्शनों के अनूठे स्वरूप के श्रृंगार के बारे में और साथ ही जानेंगे इस बार बिहारी जी के भाग में क्या कुछ विशेष पकवानों की सूची के बारे में.
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इस बार 3 मई, मंगलवार को अक्षय तृतीया पर सुबह बांकेबिहारी मोर, मुकुट, कटि-काछनी में, तो शाम को चंदन लेपन कर सर्वांग दर्शन देकर भक्तों के मन को मोह लेंगे. अक्षय तृतीया के दिन होने वाले श्री बांकें बिहारी के दर्शन इसलिए भी ख़ास माने जाते हैं क्योंकि सिर्फ इसी दिन भक्तों को उनके चरणों के दर्शन होते हैं. जी हाँ, वृन्दावन के प्रभु बांके बिहारी के चरणों के दर्शन साल के मात्र एक दिन अक्षय तृतीया के दिन ही होते हैं. परंपरा के अनुसार, ठाकुर जी बांकेबिहारीजी साल में एक बार भक्तों को चरण दर्शन देते हैं. इस पर्व के अवसर पर श्री बांके बिहारी के चरणों में मंदिर के सवायतों द्वारा सवा किलो चंदन का लड्डू चढ़ाया जाता है.
सुबह और शाम अलग-अलग सेवायत चंदन के लड्डू ठाकुरजी के चरणों में अर्पित करते हैं. बांकेबिहारीजी को गर्मी से शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन लेपन किया जाता है. इस बार भी अक्षय तृतीया के दिन यानी कि 3 मई को ठाकुरजी को 51 किलो चंदन अर्पित किया जाएगा, जो चंदन के लड्डू व सर्वांग चंदन लेपन के रूप में होगा. इसके लिए चंदन की घिसाई अभी से शुरू हो चुकी है.
विशेष होगा बांकेबिहारी का श्रृंगार
अक्षय तृतीया पर ठाकुर जी श्री बांकेबिहारी को पीले रंग की विशेष पोशाक धारण कराई जाएगी. अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी के दिव्य चरण व सर्वांग चंदन लेपन दर्शन होते हैं. जो कि श्रद्धालुओं के लिए दुर्लभ दर्शन हैं. ठाकुरजी के पूरे शरीर पर चंदन लेपन, लांघ बंधी धोती, सिर से पैर तक स्वर्ण श्रृंगार, सोने, हीरे और जवाहरात से जड़े कटारे, टिपारे, चरणों में चंदन का लड्डू ठाकुरजी के दर्शन को दिव्य बनाते हैं.
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भोग में अर्पित होंगे शीतल पदार्थ
अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी को सतुआ के लड्डू, केसरिया छेना की खीर, खरबूजा, ककड़ी, सरबत, फल, काजू, बादाम, पिस्ता, केशर, पोस्ता, कालीमिर्च, गुलकंद व दूध मिश्रित विशेष ठंडाई का भोग अर्पित किया जाएगा.
पाजेब दान करने की है परंपरा
श्री बांकेबिहारी मंदिर में अक्षयतृतीया पर पाजेब अर्पित करने की परंपरा है. मान्यताओं के अनुसार, विवाह योग्य युवतियां अगर इस दिन आराध्य के चरणों में पाजेब दान करती हैं, तो उन्हें उसी साल में मनचाहा वर मिलता है और उनका दांपत्य जीवन सुखमय गुजरता है. इसी कारण से हर साल दर्जनों युवतियां आराध्य के चरणों में पाजेब दान करती हैं.