Amalaki Ekadashi 2023 : हिंदू पंचांग में इस साल आमलकी एकादशी दिनांक 03 मार्च दिन शुक्रवार को है. इस दिन आंवले के पेड़ की पुजा के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाते हैं और आंवले के पेड़ की परिक्रमा करके सूत लपेटे जाते हैं. इस दिन व्रत के साथ कथा सुनने का महत्व है, कथा सुने बिना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता है, तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में आमलकी एकादशी की दिन व्रत कथा के बारे में बताएंगे, साथ ही इस दिन दान का क्या महत्व होता है.
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इस दिन दान करने का क्या है महत्व
इस दिन जो भी व्यक्ति आमलकी एकादशी व्रत विधिपूर्वक करता है, उस व्यक्ति को 1000 गायों के दान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है. उस व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.
इस दिन जरूर सुने व्रत कथा
आमलकी एकादशी के कथा पहली बार महर्षि वशिष्ठ ने राजा मांधाता को सुनाई थी. उस समय राजा चैतरथ का शासन था. उस राज्य के सभी लोग धर्म पुण्य करते थे. सभी भगवान विष्णु के परम भक्त थे. वे फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष को व्रत रखते थे और रात में जागरण किया करते थे. एक बार की बात है, वहां पर एक शिकारी भी जागरण करने बैठा. एकदाशी व्रत पूजा में शामिल हुआ. अगले दिन वह घर गया और भोजन करके सो गया, उसके अगले दिन अचानक ही उसकी मृत्यु हो गई. बाद में, उसने राजा विदुरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया. इसलिए जन्म लिया, क्योंकि उसने व्रत कथा सुनी थी और जागरण किया था. उसके बाद वह कुलवंश होने के कारण वहां का राजा बन गया. एक दिन जब वह जंगल में रास्ता भटक गया, तब वह एक पेड़ के नीचे सो गया, फिर उसके ऊपर जंगली लोगों ने हमला कर दिया, लेकिन उसके शरीर से प्रकट हुई स्त्री ने उन जंगली लोगों को मार दिया, तब राजा बच गया. जब वह नींद से जागा, तो देखा काफी लोगो मरे हुए हैं. उनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र भी थे. जब राजा ने पूछा कि उसकी रक्षा किसने कि, तब आकाशवाणी हुई कि भगवान विष्णु के अलावा तुम्हारी रक्षा कौन कर सकता है. उसके बाद वह अपने राज्य में लौट आया और संपन्नता के साथ शासन करने लगा.