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Amarnath Yatra 2022: 'हर हर महादेव' के जयकारे के साथ शुरू हुई परम पावन मोक्षदायनी अमरनाथ यात्रा, श्रद्धालुओं में दिखा अद्भुत उत्साह

Amarnath Yatra 2022: आज से पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू हो चुकी है. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्रीअमरनाथ की पवित्र गुफा (अनंतनाग) में वैदिक मंत्रोच्चारण और हर-हर महादेव के जयघोष के बीच प्रथम पूजा की गई.

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Gaveshna Sharma
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Amarnath Yatra 2022

'हर हर महादेव' के जयकारे के साथ आज से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा( Photo Credit : Social Media)

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Amarnath Yatra 2022: आज से पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू हो चुकी है. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्रीअमरनाथ की पवित्र गुफा (अनंतनाग) में वैदिक मंत्रोच्चारण और हर-हर महादेव के जयघोष के बीच प्रथम पूजा की गई. गुफा में हिमलिंग स्वरूप बाबा बर्फानी पूरे आकार में विराजमान होकर दर्शन दे रहे हैं. प्रथम पूजा यात्रा की पारंपरिक शुरुआत का प्रतीक है. अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त को रक्षाबंधन वाले दिन संपन्न होगी. आपको बता दें कि अमरनाथ यात्रा इस साल 43 दिन तक चलेगी. इस साल 7 से 8 लाख श्रद्धालुओं के बाबा बर्फानी के दर्शन करने की उम्मीद है. पहलगाम और बालटाल बेस कैंप से हर दिन 10-10 हजार श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाएंगे. आज सुबह पहलगाम से भक्तों का पहला जत्था अमरनाथ यात्रा पर रवाना हुआ. इस मौके पर भोले भंडारी के भक्तों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. वहीं आतंकी हमले के आशंका के बीच चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.

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तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के रास्ते रवाना हुआ. इस दौरान लोगों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. बता दें कि दो साल बाद शुरू हुई यात्रा में लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. बाबा बर्फानी के नाम से मशहूर अमरनाथ धाम का इतिहास सदियों पुराना है.

मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव ने यहां माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था. कहा जाता है कि अमरनाथ में जाकर हिमलिंग के दर्शन करने से मनुष्य के पापों से मुक्ति मिल जाती है.

यहां सुनाई अमर कथा
अमर कथा सुनाने के लिए शर्त यह थी कि कोई अन्य प्राणी या कोई भी जीव इस कथा को न सुन सके. इसलिए महादेव ने सबसे पहले अपने वाहन नंदी को पहलगांव में छोड़ा, यही वह जगह है जहां से अमरनाथ की यात्रा शुरू होती है. यहां से थोड़ा आगे चलने पर शिवजी ने अपने शीश से चन्द्रमा को अलग किया, इसलिए यह स्थान चन्दनबाड़ी कहलाया. इसके बाद गंगाजी को पंचतरणी में और कंठ पर लिपटे हुए सर्पों को शेषनाग स्थान पर छोड़ दिया.

श्री गणेशजी को उन्होनें महागुणा पर्वत पर छोड़ दिया, इसके आगे महादेव ने पिस्सू नमक कीड़े को त्यागा था, इस जगह को पिस्सूघाटी कहा जाता है. इस प्रकार महादेव ने अपने इन अभिन्न अंगों (नंदी, गंगा, चन्द्रमा, शेषनाग, पिस्सू) को अपने से अलग कर माता पार्वती संग अत्यंत सुंदर गुफा में प्रवेश किया.

अमर हुआ कबूतरों का जोड़ा
गुफा में महादेव ने जीवन के उस गूढ रहस्यों की कथा शुरू कर दी. मान्यता है कि कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई थी. उस समय वो कथा वहां दो सफेद कबूतर सुन रहे थे. जब कथा समाप्त हुई और भगवान शिव का ध्यान माता पार्वती पर गया तो उन्होंने पार्वती जी को सोया हुआ पाया. तब महादेव की दिव्य दृष्टि उन दोनों कबूतरों पर पड़ी. इसे देखते ही शिवजी को उन पर क्रोध आ गया.

फिर दोनों कबूतर महादेव के पास आकार बोले कि हमने आपकी अमर कथा सुनी है, यदि आप हमें मार देंगे तो आपकी कथा झूठी हो जाएगी. कहते हैं कि इस पर महादेव ने उन कबूतरों को वर दिया कि वो सदैव उस स्थान पर शिव और पार्वती के प्रतीक के रूप में रहेंगे. बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले भक्तों को आज भी उन कबूतरों के दर्शन हो जाते हैं.

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