Durga Puja in Kashi: वाराणसी में इस वर्ष दुर्गा पूजा उत्सव की विशेष धूम देखने को मिल रही है. काशी की पुरानी परंपराओं के साथ-साथ इस बार कुछ अनोखा और दिलचस्प नजारा सामने आया है. यहां की दुर्गा पूजा में इस बार दाल, बादाम, राजमा, और साबूदाना से बनी मूर्तियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. दुर्गा पूजा की इस विशेष तैयारियों में वाराणसी के युवा मूर्तिकारों ने एक नया प्रयोग किया है. मां दुर्गा की प्रतिमा को विभिन्न प्रकार की दालों से तैयार किया गया है. इस अनोखी प्रतिमा को तैयार करने में अरहर, मूंग, मसूर, और उरद जैसी 7 प्रकार की दालों का प्रयोग किया गया है. कुल मिलाकर इस प्रतिमा को तैयार करने में 2.51 क्विंटल दालों का इस्तेमाल हुआ है.
प्रतिमा बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि इन मूर्तियों को तैयार करने में आम मूर्तियों की तुलना में चार गुना अधिक समय और धन खर्च होता है. यह प्रतिमा काशी के प्रसिद्ध युवा मूर्तिकारों ने एक महीने के कड़े परिश्रम से तैयार की है. मिट्टी और पुआल से बनी इस मूर्ति को विशेष रूप से सजाया गया है और इसे तैयार करने में राजमा, काबुली चना, और साबूदाना का भी इस्तेमाल हुआ है. इसके अलावा एक और विशेष प्रतिमा साबूदाना से तैयार की गई है, जो पूजा में शामिल सभी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गई है.
वाराणसी में दुर्गा पूजा की पुरानी परंपरा
काशी में दुर्गा पूजा की परंपरा सदियों पुरानी है, और यहां हर साल हजारों लोग माता के पूजन में शामिल होते हैं. इस बार की विशेष बात यह है कि एक दुर्गा पूजा समिति, जो 55 साल पुरानी है, नवरात्रि के पहले दिन से ही माता की मूर्ति स्थापित करती है और पूरे 9 दिनों तक धूमधाम से पूजन किया जाता है. इस वर्ष की पूजा में भी यह परंपरा जीवंत है, जहां माता की प्रतिमा की स्थापना की गई है और पूजन विधिवत चल रहा है.
काशी के दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष का कहना है कि यह पूजा परंपरा करीब 512 से भी अधिक पूजा समितियों में निभाई जा रही है. हर वर्ष की तरह इस बार भी पूजा बड़े ही विधिपूर्वक हो रही है. श्रद्धालुओं के बीच इस साल की मूर्तियों को लेकर खासा उत्साह है, खासकर उन मूर्तियों को लेकर जो पूरी तरह से दालों और अन्य प्राकृतिक वस्तुओं से तैयार की गई हैं.
अनूठी मूर्तियों का क्रेज
इस बार की दुर्गा प्रतिमा खास इसलिए भी है क्योंकि यह विभिन्न सामग्रियों से तैयार की गई है. दाल, बादाम, राजमा, और साबूदाना से बनी प्रतिमाएं लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं. इन मूर्तियों की खासियत यह है कि न सिर्फ यह पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि यह कला के एक नए रूप को भी उजागर करती हैं. पूजा पंडालों में आने वाले भक्त इन मूर्तियों की अद्वितीयता देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं. वाराणसी में इस प्रकार की मूर्तियां बनाने की कला एक नया आयाम ले रही है, जो भविष्य में और भी नए प्रयोगों को प्रेरित कर सकती है.
वाराणसी में इस बार की दुर्गा पूजा केवल धार्मिक आस्था का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह कला और नवाचार का भी अद्भुत मेल है. दाल, बादाम, राजमा और साबूदाना से बनी माता की मूर्तियों ने इस उत्सव को और भी खास बना दिया है. श्रद्धालुओं के लिए यह पूजा अनूठी बन चुकी है, और इन मूर्तियों के प्रति लोगों का आकर्षण देखते ही बनता है.
रिपोर्ट: सुशांत मुखर्जी
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)