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Jagannath Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले रथयात्रा की अद्भुत कहानी

Jagannath Rath Yatra : हर साल ओड़ीसा से पुरी में धूमधाम के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है. लेकिन, क्या आप इस रथयात्रा की पौराणिक कहानी जानते हैं ?

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Inna Khosla
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Jagannath Rath Yatra

Jagannath Rath Yatra( Photo Credit : News Nation)

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Jagannath Rath Yatra: रथयात्रा का इतिहास 1,000 साल से भी अधिक पुराना है. जगन्नाथ रथयात्रा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की वार्षिक यात्रा का प्रतीक है. रथयात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है. यह त्योहार मुख्य रूप से ओडिशा के पुरी शहर में मनाया जाता है, जहां भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्थित है. रथयात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को तीन विशाल रथों पर रखा जाता है. इन रथों को लाखों भक्त खींचते हैं, जो भगवान के दर्शन के लिए उत्सुक रहते हैं. नौ दिनों तक चलने वाली इस रथयात्रा में हर दिन भगवान अलग-अलग मंदिरों में जाते हैं. रथयात्रा का समापन नवमी तिथि को होता है, जब भगवान जगन्नाथ वापस अपने मंदिर लौटते हैं.

रथयात्रा की अद्भुत कहानी (Lord Jagannath Rath Yatra Story)

हर साल भगवान की रथयात्रा के लिए तीन भारी भरकम रथों को बिना किसी कील और लोहे की सहायता के बहुत ही मजबूती से बनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ जी को ये रथ इंद्रदेव द्वारा अर्पित किया गया था, जिसमें 16 पहिए और चार सफेद घोड़े होते हैं. रथ के सारथी दारूका हैं. इस जगत के पालनहार भगवान श्री कृष्ण को वैसे तो सुरक्षा की कोई भी जरूरत नहीं, पर फिर भी रथ की सुरक्षा की सेवा उनके परम भक्त गरुड़ देव और महाबली हनुमान जी करते हैं. यूं तो रथ को हजारों लोग खींचते हैं, पर ये रथ भगवान की इच्छा और भक्तों के प्रेम से ही चलता है. 

क्या आपको पता है रथ यात्रा क्यों होती है? 

एक बार भगवान श्री कृष्ण की छोटी बहन सुभद्रा मैया ने नगर घूमने की अपनी इच्छा भगवान श्री कृष्ण को बताई. फिर क्या भगवान श्री कृष्ण और दाऊ भैया बलराम जी निकल पड़े अपनी लाडली और प्यारी सी बहन को नगर घूमाने. इस यात्रा के दौरान वो तीनों अपनी मौसी के यहां गुडीचा मंदिर में सात दिनों तक रुकते हैं तभी से रथ यात्रा की ये परंपरा चलती आ रही है.

जगन्नाथ मंदिर की इस रथ यात्रा में हर साल करीबन 30,00,000 से ज्यादा भक्त रथ यात्रा में सिर्फ इसीलिए आते हैं क्योंकि आज भगवान खुद अपने एक-एक भक्त को देखने बाहर आते हैं और अपनी बड़ी बड़ी करूणामयी दृष्टि से उनके जन्म जन्मांत्रों के कष्टों को दूर भी करते हैं और उनको वैकुंठ धाम जाने का आशीर्वाद देते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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