अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत के दौरान भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अनंत स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है. लिहाजा इस पर्व का महत्व और बढ़ जाता है. इस बार 1 सितंबर यानी मंगलवार को अनंत चतुर्दशी का व्रत पड़ रहा है. बताया जाता है कि लगातार 14 वर्षों तक इस व्रत को करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. यह पर्व भारत के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है.
अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त
- सुबह 5:59 बजे से 9:40 बजे तक
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
- सुबह 9:10 बजे से दोपहर 1:56 बजे तक
अनंत चतुर्दशी पूजा की विधि
अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन अग्नि पुराण में मिलता है. व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें और कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाएं. कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर एक धागे को अनंत सूत्र बनाएं, जिसमें चौदह गांठें होनी चाहिए. अनंत सूत्र को भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखकर अनंत सूत्र की पूजा करें और 'अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।' मंत्र का जाप करें. इसके बाद अनंत सूत्र बाजू में बांध लें. धारणा है कि अनंत सूत्र बांधने से संकटों का नाश होता है.
अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है. इस दिन गणेश जी का विसर्जन अति फलदायक माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विसर्जन करने से पुण्य फल मिलता है. आमतौर पर गणेश जी का विसर्जन बड़े ही धूमधाम से होता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से रौनक फीका रहेगा.
Source : News Nation Bureau