Achla Ekadashi 2022, Dos and Donts: अचला एकादशी के दिन किया अगर ये काम, तो चुकाना पड़ जाएगा जीवन का सबसे भारी दाम

Achla Ekadashi 2022: 26 मई दिन गुरुवार को अपरा एकादशी मनाई जाएगी. मान्यताओं के अनुसार, अचला एकादशी के दिन कुछ कामों को करने की सख्त मनाही होती है नहीं तो इनके दुष्प्रभाव से जीवन और उसकी खुशियां तक ताक पर लग सकती हैं.

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Gaveshna Sharma
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Achla Ekadashi 2022, Dos and Donts

अचला एकादशी के दिन किया अगर ये काम, तो चुकाना पड़ेगा भारी दाम ( Photo Credit : Social Media)

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Achla Ekadashi 2022: हिन्दू धर्म में हिंदी तिथियों का विशेष महत्त्व बताया गया है. इन्हीं तिथियों में से एक है एकादशी. हर माह में दो एकादशी आती हैं. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. इस तरह से पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती है. प्रत्येक एकादशी तिथि पर पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. माह और तिथि के आधार पर प्रत्येक एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है. ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष अपरा एकादशी 26 जून 2022, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यता अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत नियम और निष्ठा से करने से सभी पापों का नाश होता है. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है. मान्यताओं के अनुसार, अचला एकादशी के दिन कुछ कामों को करने की सख्त मनाही होती है नहीं तो इनके दुष्प्रभाव से जीवन और उसकी खुशियां तक ताक पर लग सकती हैं. 

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चावल का सेवन न करें
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. धार्मिक कथाओं के अनुसार जो लोग एकादशी के दिन चावल उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है. 

- एक अन्य कथा के अनुसार पौराणिक कथाों के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था. उनके अंश पृथ्वी में समा गए और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए.

- इस कारण चावल और जौ को जीव माना जाता है. कथा के अनुसार जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था, उस दिन एकादशी तिथि थी. इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया. ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर है.

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क्रोधित न हों  
अपरा एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु की आराधना का होता है. इस दिन सिर्फ भगवान का गुणगान करना चाहिए. एकादशी के दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए.

ब्रह्मचर्य का पालन करें 
अपरा एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. शारीरिक संबंध से परहेज करना चाहिए. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.

किसी का अपमान न करें 
अपरा एकादशी के दिन किसी भी वरिष्ठजन का अपमान न करें. सिर्फ एकादशी के दिन ही नहीं व्यक्ति को किसी भी दिन महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए. जो व्यक्ति महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं उन्हें जीवन में कई तरहों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

तामसिक भोजन न करें 
अपरा एकादशी के पावन दिन तामसिक भोजन न करें. इस दिन ऐसा करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस दिन व्रत करना चाहिए. अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें.

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