जीवन में हर कोई खुद चाणक्य से कम नहीं समझता, लेकिन चाणक्या नीति क्या है बहुत कम लोगों को पता है. दरअसल, आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के कई पहलुओं का वर्णन किया है. चाणक्य की इन नीतियों को अपनाकर जीवन को सरल बनाया जा सकता है. महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और शिक्षाविद चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर ही चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य वंश का राजा बनाया था. चाणक्य की नीतियों को अपनाना भले ही कठिन माना जाता है, लेकिन कहा जाता हैं कि जिसने भी आचार्य चाणक्य की नीति को अपना लिया उसे चंद्रगुप्त की तरह सफल और कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है.
आइये आज देखते हैं कि दुश्मनों का सामना करने पर चाणक्य नीति क्या कहती है. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि 'जब आपके एक से ज्यादा दुश्मन हो तो वहां पर शारीरिक तौर पर नहीं दिमागी तौर पर लड़ना चाहिए।' आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को हमेशा अपने दुश्मनों का सामना करते वक्त कुछ चीजों को ध्यान में रखना चाहिए। सबसे पहली बात ये देखना चाहिए कि आपके सामने कितने दुश्मन है। अगर आपने सामने एक से ज्यादा दुश्मन हैं तो उनका सामना शारीरिक तौर पर करना बेकार है. ऐसे में व्यक्ति को उनका सामना दिमाग से करना चाहिए। ऐसा करके ही वो एक झटके में सभी को परास्त कर सकता है.
मनुष्य के जीवन में ऐसे कई क्षण आता है जब इंसान के एक से ज्यादा दुश्मन बन जाते हैं. इनमें से कुछ दुश्मन ऐसे भी होते हैं जिनसे आपका सीधे तौर पर कोई मतलब नहीं होता. लेकिन अपने दोस्त या फिर जानकार का साथ देने के लिए वो आपसे दुश्मनी कर लेते हैं. यानी कि आपके दुश्मनों की संख्या अपने आप बढ़ने लगती है. ऐसे में मनुष्य को शारीरिक तौर पर नहीं बल्कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसा करके ही वो एक झटके में उन सभी को परास्त कर सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए. एक से ज्यादा व्यक्तियों से किसी भी एक मनुष्य का लड़ना और जीतना मुनासिब नहीं है. वहीं अगर मनुष्य अपने दिमाग से खेले तो वो इन सबको एक झटके में परास्त कर सकता है.
Source : News Nation Bureau