हिन्दू पंचांग के हिसाब से वर्ष का चौथा महीना आषाढ़ होता है. इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है. आषाढ़ महीने को संधि काल कहा जाता है. आषाढ़ महीने में वर्षा होने के कारन वातावरण में थोड़ी सी नमी आनी शुरू हो जाती है जिससे रोगों का संक्रमण सर्वाधिक होता है. इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है. इस बार आषाढ़ मास 25 जून से 24 जुलाई तक रहेगा. हिन्दू पंचांग में इस महीने यानि आषाढ़ को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है.
आषाढ़ माह के व्रत और त्योहार
आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है. इसी महीने में श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी निकाली जाती है. इस महीने में सूर्य और देवी की भी उपासना की जाती है. इस महीने में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए "गुप्त नवरात्रि" भी मनाई जाती है. इसी महीने से श्री हरि विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं. अगले चार माह तक शुभ कार्यों की वर्जना रहती है. आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है.
27 जून- गणेश चतुर्थी व्रत
28 जून- पंचक काल प्रारंभ
02 जुलाई- शीतलाष्टमी
03 जून- पंचक का समापन
05 जुलाई- योगिनी एकादशी व्रत
07 जुलाई- प्रदोष व्रत
08 जुलाई- मासिक शिवरात्रि
09 जुलाई- अमावस्या तिथि
11 जुलाई- गुप्त नवरात्रि प्रारंभ
12 जुलाई- श्री जगन्नाथ जी रथयात्रा प्रारंभ
13 जुलाई- विनायक चतुर्दशी व्रत
16 जुलाई- कर्क संक्रांती
18 जुलाई- गुप्त नवरात्रि पारण
19 जुलाई- आशा दशमी का व्रत रहेगा
20 जुलाई- ईद उल अजहा
20 जुलाई- हरिशयनी एकादशी
21 जुलाई- प्रदोष व्रत, वामन द्वादशी
22 जुलाई- विजया पार्वती व्रत
24 जुलाई- पूर्णिमा व्रत
किन देवी-देवताओं की हो पूजा?
आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है. इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है. श्री हरि विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है. इस महीने में जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है. इस महीने में मंगल और सूर्य की उपासना अवश्य करें. ताकि ऊर्जा का स्तर बना रहे
आषाढ़ में कैसा हो खान-पान?
इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए. आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं. जहां तक हो सके तेल वाली चीज़ें कम खाएं. सौंफ, हींग और नीम्बू का प्रयोग लाभकारी होता है.
Source : News Nation Bureau