Ashadha Gupt Navratri 2022 Maa durga 9 Ayurvedic Swaroop: सनातन परंपरा में नवरात्रि की तिथियों का बहुत महत्व है. शाक्त मत को मानने वालों के लिए साल में पड़ने वाली सभी नवरात्रियां देवी मां दुर्गा की विशेष आराधना के लिए जानी जाती हैं. पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 30 जून 2022 से शुरू होंगी. इस बार इनकी समाप्ति 09 जुलाई 2022 को होगी. आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि विशेष फल देने वाली होती है. देवी मां के दस महाविद्या स्वरूप की साधना से जीवन के कष्टों का समाधान होता है. मार्कण्डेय पुराण में 9 ऐसी औषधियों का जिक्र किया गया है, जिनमें मां दुर्गाका साक्षात वास है और उन्हें मां दुर्गा के 9 रूपों की तरह ही शक्तिशाली बताया जाता है. इन औषधियों को नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है. मान्यता है कि ये नौ औषधियां शत्रुओं की तरह रोग नाश आकर देती हैं. इनके सेवन से बड़ी से बड़ी बीमारी से लड़ा जा सकता है.
हरड़
हरड़ की तुलना माता शैलपुत्री से की जाती है. हरड़ 7 तरह की होती है और सभी तरह की हरड़ की अलग विशेषता है. हरीतिका भय को हरने वाली, पथया सभी के लिए हितकारी, कायस्थ शरीर की काया क बेहतर बनाने के लिए, अमृत यानी अमृत के समान, हेमवती हिमालय पर उत्पन्न होने वाली, चेतकी चित्त को प्रसन्न करने वाली और श्रेयसी सभी का कल्याण करने वाली मानी जाती है.
ब्राह्मी
इसका नाम मां ब्रह्मचारिणी जो मां दुर्गा का दूसरा रूप हैं उनके नाम पर रखा गया है. ये आपके स्वर को मधुर करती है, मस्तिष्क को कुशाग्र बनाती है. मस्तिष्क से जुड़ी तमाम परेशानियों को दूर करती है. याद्दाश्त बेहतर करती है और रक्त से जुड़े विकार दूर करती है. इसे मां सरस्वती की भी संज्ञा दी जाती है.
चंदुसूर
इस आयुर्वेदिक औषधि को मानम चंद्रघंटा का स्वरूप माना जाता है. ये देखने में धनिये के समान लगती है. ये शरीर का मोटापा दूर करने में उपयोगी है. मोटापा दूर होने से शरीर की तमाम समस्याएँ अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं. ये हृदय रोगियों के लिए लाभकारी मानी जाती हैं.
कुम्हड़ा
कुम्हड़ा को मां कूष्मांडा के सामान माना गया है. ये पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक होने के साथ खून के विकारों को दूर कर सकता है. ये पित्त और गैस की समस्या को भी नियंत्रित करता है. इसका इस्तेमाल पेठा बनाने के लिए किया जाता है.
अलसी
अलसी को भी बेहद शक्तिशाली माना गया है. इसकी तुलना स्कन्दमाता सी की जाती है. अलसी के बीच त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का नाश करने में सक्षम माने जाते हैं. आयुर्वेद में सभी रोगों का सम्बंध वात, पित्त और कफ से ही माना गया है.
मोइया
इसे माता के छटवें रूप कात्यायनी के समान शक्तिशाली मां गया है. इसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका व माचिका नाम से भी जाना जाता है. मोइया कफ, पित्त व कंठ के रोगों का नाश करने में सक्षम मानी जाती है.
नागदौन
इस औषधि को माता कालरात्रि की संज्ञा दी गई है. ये औषधि शारीरिक व मानसिक पीड़ा, दोनों से लड़ने में सक्षम है. ये आपके शरीर से विष का भी नाश कर सकती है और आपको काल के मुंह से बाहर निकाल सकती है.
तुलसी
घर घर में पाई जाने वाली तुलसी को महागौरी की संज्ञा दी जाती है. ये आपको रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है. ये आपको कफ के प्रकोप से बचाती है. इसका नियमित रूप से सेवन करने से रक्त विकार भी ठीक हो जाते हैं.
शतावरी
शतावरी को मां सिद्धिदात्री का स्वरूप माना गया है. ये शरीर को बलवान और शक्तिशाली बनाती है. इसे मानसिक बल और वीर्य के लिए उत्तम औषधि माना गया है. ये वात और पित्त से जुड़ी समस्याओं को थीक करने में सक्षम है.