Ashwin Month Shivratri 2022 Shubh Muhurt and Yog: हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनिया जाती है. इस समय आश्विन माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है. आश्विन माह की मासिक शिवरात्रि 24 सितंबर, दिन शनिवार को पड़ रही है. इस दिन रात्रि के समय में भगवान शिव शंकर की पूजा विधि पूर्वक की जाती है. माना जाता है कि जो भी भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक शक्ति भी जागृत होने लगती है. ऐसे में चलिए जानते हैं आश्विन माह की शिवरात्रि के महत्व और पूजा विधि के बारे में.
आश्विन माह शिवरात्रि 2022 महत्व (Ashwin Month Shivratri 2022 Significance)
हर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान शिव को पूजा करने का उत्तम अवसर मासिक शिवरात्रि होती है. इस दिन आप शिव आराधना करके अपने मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं. मंत्रों की सिद्धि या विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति रात्रि प्रहर की पूजा से कर सकते हैं. शिवरात्रि को विधि विधान से शिव आराधना करने पर महादेव प्रसन्न होते हैं. वे आपके दुखों को दूर करके आपका कार्य सफल कर सकते हैं.
आश्विन माह शिवरात्रि 2022 पूजा सामग्री (Ashwin Month Shivratri 2022 Puja Samagri)
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
आश्विन माह शिवरात्रि 2022 पूजा विधि (Ashwin Month Shivratri 2022 Puja Vidhi)
- शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा रात्रि में की जाती है और पूरी रात जागरण कर भगवान शिव की उपासना की है. मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में पैदा हो रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है.
- एक रात में चार पहर होते हैं और चारों पहर में भगवान शिव का दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक किया जाता है. पूजा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर किया जाता है. ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं.
- बता दें कि पहला पहर सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और इसी के साथ भगवान शिव की उपासना भी शुरू हो जाती है. दूसरा पहर रात 9 बजे से और तीसरा पहल मध्यरात्रि 12 बजे से शुरू होता है. चौथा और अंतिम पहर सुबह 3 बजे से शुरू होता है और ब्रह्म मुहूर्त तक पूजा का समापन हो जाता है.