Shukr Pradosh Vrat 2022 Puja Vidhi aur Anushthhan: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा उपासना की जाती है. पंचांग के अनुसार, आश्विन माह का प्रदोष व्रत 23 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार को पड़ रहा है. यह प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा. धार्मिक मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाला होता है. इस दिन व्रत करने तथा भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से धन, संपत्ति, वैभव और सभी प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं आश्विन माह के शुक्र प्रदोष व्रत की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में.
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शुक्र प्रदोष व्रत 2022 पूजा विधि (Shukr Pradosh Vrat 2022 Puja Vidhi)
- शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर उनकी पूजा करना उत्तम होता है.
- इस दिन भगवान शिव को अक्षत, फल, फूल, मिठाई अर्पित करें.
- उनकी आरती उतारें और मंत्रों का जाप करें.
- इस दिन शिवजी को भांग, धतूरा, बेलपत्र और रूद्राक्ष अर्पित करने से जीवन की हर मनोकामना पूरी की जा सकती है.
- पूजा के बाद भगवान शिव से अपने जीवन के संकट दूर करने की प्रार्थना करें.
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शुक्र प्रदोष व्रत 2022 अनुष्ठान (Shukr Pradosh Vrat 2022 Anushthhan)
- प्रदोष व्रत वाले दिन प्रदोष काल का समय शुभ माना जाता है.
- इस दौरान की गईं सभी प्रकार प्रार्थनाएं और पूजा सफल मानी जाती हैं.
- सूर्यास्त से एक घंटे पहले, भक्त स्नान करें और अनुष्ठान के लिए तैयार हो जाएं.
- स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजन एवं अनुष्ठान आरंभ करें.
- गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें.
- फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें.
- भगवान शिव की चालीसा या स्तोत्र का पाठ करें.
- भगवान शिव के 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें.
- महादेव को भोग लगाएं और आरती उतारें
- अंत में आरती के बाद भोग सबमें वितरित कर दें.