Why Lord Shiva Killed Lord Vishnu Sons: हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. विष्णु जी को जगत का पालनहार कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से गुरुवार को उनकी पूजा करता है, तो भगवान विष्णु उसकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं. भगवान विष्णु की पूजा से न केवल सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन के सभी संकट भी दूर होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार को विष्णु जी की आराधना करने से घर में शांति और खुशहाली का वास होता है.
शिवपुराण से जुड़ी है कथा
भगवान विष्णु से जुड़ी एक विशेष कथा शिवपुराण में मिलती है, जो अमृत मंथन से संबंधित है. इस कथा के अनुसार, जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया तो समुद्र से अमृत निकला. अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और दानवों के बीच भीषण युद्ध हुआ. इस युद्ध को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अपनी माया से दानवों को अमृत का पान करने से रोक दिया. मोहिनी के रूप को देखकर दानव मोहित हो गए और इस धोखे में आकर अमृत से वंचित रह गए.
भगवान शिव ने किया था विष्णु जी के पुत्रों का वध
दानवों ने जब देखा कि वे अमृत प्राप्त नहीं कर पाए, तो उन्होंने देवताओं के साथ युद्ध छेड़ दिया. इस बार भी दानव सफल नहीं हुए और देवताओं ने पाताल लोक की ओर प्रस्थान किया. भगवान विष्णु ने भी देवताओं का पीछा किया और पाताल लोक पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि कुछ अप्सराएं दानवों की कैद में थीं. ये अप्सराएं भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं, जिन्हें भगवान विष्णु ने मुक्त कराया. भगवान विष्णु के मोहक रूप को देखकर अप्सराएं मोहित हो गईं और उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि विष्णु जी उनके पति बनें. भगवान शिव ने अपनी माया से अप्सराओं की यह इच्छा पूरी की और उनका विवाह भगवान विष्णु से करवा दिया.
भगवान विष्णु के पुत्रों का जन्म और उनका आतंक
अप्सराओं से भगवान विष्णु के पुत्रों का जन्म हुआ, लेकिन इनमें दानवीय अवगुण थे. समय के साथ, इन पुत्रों ने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया. देवता और मनुष्य सभी इनसे परेशान हो गए और उन्होंने भगवान शिव से मदद मांगी. भगवान शिव ने वृषभ अवतार धारण किया और पाताल लोक पहुंचकर भगवान विष्णु के पुत्रों का एक-एक करके संहार कर दिया. इस घटना के बाद भगवान विष्णु को जब अपने पुत्रों के संहार की जानकारी मिली, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और वृषभ रूपी भगवान शिव से युद्ध करने पहुंचे.
विष्णु और शिव का युद्ध
दोनों देवताओं के बीच भीषण युद्ध हुआ, लेकिन कोई निर्णय नहीं निकल सका. अंततः अप्सराओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे भगवान विष्णु को उनके मोह से मुक्त करें. भगवान विष्णु जब अपने वास्तविक रूप में आए, तो उन्हें इस संपूर्ण घटना का बोध हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगते हुए विष्णुलोक लौटने की आज्ञा मांगी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)