आज 13 नवंबर को देशभर में धनतेरस का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज शाम 7:50 बजे से चतुर्दशी तिथि लग रही है, इस कारण आज ही नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी मनाया जाएगा. जानकारों का कहना है कि आज शाम को भगवान धनवंतरि की पूजा का अति शुभ मुहूर्त 27 मिनट का है. यह शुभ मुहूर्त शाम 5:32 बजे से 5:59 बजे तक रहेगा. धनतेरस के दिन दीपदान की भी परंपरा है. आज शाम 5:32 से 5:59 बजे के बीच पूजा और दीपदान करना फलदायी होगा.
ऐसे करें भगवान धनवंतरि की पूजा : चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें. देसी घी का दीया, धूप और अगरबत्ती जलाएं. अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें. धनतेरस पर आपने जो भी खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें. धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग लगाएं.
क्यों करते हैं दीपदान : माना जाता है कि धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाना शुभ होता है. एक दिन यमदूतों ने यमराज से पूछा कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है या नहीं? इस पर यमराज बोले- धनतेरस की शाम यम के नाम का दीया दक्षिण दिशा में रखने से अकाल मृत्यु नहीं होती है. इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए धनतेरस के दिन लोग दक्षिण दिशा की ओर दीया जलाते हैं. इससे अकाल मृत्यु नहीं होती.
धनतेरस की पौराणिक कथा : पुराण में वर्णन है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे. उसके बाद से धनतेरस मनाया जाने लगा. इस दिन धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा है. इससे सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है. धनतेरस के दिन धन के देवता विधि-विधान से पूजा होती है.
Source : News Nation Bureau