Auspicious Yog For Success: इन शुभ योगों में किया गया काम चढ़ाएगा आपको सक्सेस की सीढ़ी, ऐशो आराम में जियेगी आपकी आने वाली सात पीढ़ी

Auspicious Yog For Success: ज्योतिष के अनुसार 12 राशियां तथा 27 योग होते हैं जिनका संबंध हमारे दैनिक जीवन से जुड़े सभी कार्यों के साथ होता है. 27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है.

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Gaveshna Sharma
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Auspicious Yog For Success

इन शुभ योगों में किया गया काम चढ़ाएगा आपको सक्सेस की सीढ़ी( Photo Credit : News Nation)

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Auspicious Yog For Success: कई बार जहां कुछ कार्य कठिन मेहनत के बाद भी शुभ फल नहीं देते. वहीं कुछ ऐसे कार्य होते हैं, जो मेहनत किये बिना ही सफल हो जाते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है ये बात दिमाग में कई बार आती है पर इसको हम समझ नहीं पाते कि इसके पीछे कारण क्या है? ज्योतिष के अनुसार 12 राशियां तथा 27 योग होते हैं जिनका संबंध हमारे दैनिक जीवन से जुड़े सभी कार्यों के साथ होता है. 27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है. जिसमें शुभ कार्यों को नहीं किया जाता. इन योग की वजह से ही काम बनते और बिगड़ते हैं.

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शुभ योग

प्रीति योग
इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा झगड़े निपटाने या समझौता करने के लिए भी यह योग शुभ होता है.

आयुष्मान योग
इस योग में किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते रहते हैं. जो जीवनभर सुख देने वाला होता है.

सौभाग्य योग
इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है. इसीलिए इस मंगल दायक योग भी कहते हैं.

शोभन योग
इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है. मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह सफल होती है.

सुकर्मा योग
इस योग में किए गए कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है और कार्य शुभफलदायक होता है. ईश्वर का नाम लेने या सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम है.

धृति योग
इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है. घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान आनंदमय जीवन व्यतीत करता है.

वृद्धि योग
इस योग में किए गए कार्य में वृद्धि ही होती है. यह योग सबसे बढ़िया होता है.इस योग में किए गए काम में न तो कोई रुकावट आती है और न ही कोई झगड़ा होता है.

ध्रुव योग
इस योग में किसी भवन या इमारत आदि का निर्माण करने से सफलता मिलती है. लेकिन कोई भी अस्थिर कार्य इस योग में सही नहीं है.

हर्षण योग
इस योग में किए गए कार्य खुशी ही प्रदान करते हैं. हालांकि इस योग में प्रेत कर्म यानि पितरों को मनाने वाले कर्म नहीं करना चाहिए .

सिद्धि योग
प्रभु का नाम लेने या मंत्र सिद्धि के लिए यह योग बहुत बढिय़ा है.इस योग में जो कार्य भी शुरू किया जाएगा उसमें निश्चय ही सफलता मिलेगी.

वरियान योग
इस योग में मंगलदायक कार्य किए जा सकते हैं, इससे सफलता मिलेगी. हालांकि इस योग में किसी भी प्रकार से पितृ कर्म नहीं करते हैं.

शिव योग
इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं. इस योग में यदि प्रभु का नाम लिया जाए तो सफलता मिलती है.

सिद्ध योग
इस योग में कोई भी कार्य सीखने का सोच रहे हैं तो सफल सिद्ध होगा. यह योग गुरु से मंत्र दीक्षा लेकर मंत्र जपने का उत्तम योग है.

साध्य योग
यह योग किसी से विद्या या कोई विधि सीखनी के लिए अति उत्तम होता है. इस योग में कार्य सीखने या करने में सफलता मिलती है.

शुभ योग
इस योग में कोई कार्य करने से मनुष्य महान बनता है तथा प्रसिद्धि को प्राप्त करता है.

शुक्ल योग
इस योग को मथुर चांदनी रात की तरह माना गया है . इस योग में गुरु या प्रभु की कृपा अवश्य बरसती है तथा मंत्र भी सिद्ध होते हैं.

ब्रह्म योग
यदि कोई शांतिदायक कार्य करना हो अथवा किसी का झगड़ा आदि सुलझाना हो तो यह योग अति लाभदायक है।

इन्द्र योग
यदि कोई राज्य पक्ष का कार्य रुका हो तो उसे इस योग में करने से पूरा होगा.ऐसे कार्य प्रात: दोपहर अथवा शाम को ही करें रात में नहीं.

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अशुभ योग

विष्कुम्भ योग
इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है अर्थात इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ ही होते हैं.

अतिगण्ड
इस योग में किए गए कार्य दुखदायक होते हैं. अत: इस योग में कोई भी शुभ या मंगल कार्य नहीं करना चाहिए और ना ही कोई नया कार्य आरंभ करना चाहिए.

शूल योग
इस योग में किए गए कार्य से हर जगह दुख ही दुख मिलते हैं. इस योग में कोई काम कभी पूरा नहीं होता.अत: इस योग में कोई भी कार्य न करें अन्यथा आप जिंदगी भर पछताते रहेंगे.

गण्ड योग
इस योग में किए गए हर कार्य में अड़चनें ही पैदा होती हैं. इस योग किया गया कार्य इस तरह उलझता है कि सुलझाना मुश्किल होता है इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गण्ड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए.

व्याघात योग
इस योग में कोई कार्य किया गया तो बाधाएं तो आएगी ही साथ ही व्यक्ति को आघात भी सहन करना होगा. यदि व्यक्ति इस योग में किसी का भला करने जाए तो भी उसका नुकसान होगा.

वज्र योग
इस योग में वाहन आदि नहीं खरीदे जाते हैं अन्यथा उससे हानि या दुर्घटना हो सकती है. इस योग में सोना खरीदने पर चोरी हो जाता है और यदि कपड़ा खरीदा जाए तो वह जल्द ही फट जाता है या खराब निकलता है.

व्यतिपात योग
इस योग में किए जाने वाले कार्य से हानि ही हानि होती है. किसी का भला करने पर भी आपका या उसका बुरा ही होगा

परिध योग
इस योग में शत्रु के विरूद्ध किए गए कार्य में सफलता मिलती है अर्थात शत्रु पर विजय अवश्य मिलती है.

वैधृति योग
यह योग स्थिर कार्यों के ठीक है परंतु यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि करनी हो तो इस योग में नहीं करनी चाहिए.

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