अयोध्या धाम (Ayodhya) में इस बार 84 कोसी परिक्रमा (84 Koshi Parikrama) 17 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. रामजन्मभूमि पर चलले वाली ये परिक्रमा (Ayodhya 84 Koshi Parikrama) 17 अप्रैल से शुरू होकर 8 मई (ayodhya 84 kos parikrama marg) तक चलेगी. ये परिक्रमा पांच जिलों बस्ती, अयोध्या, अंबेडकरनगर, गोंडा, बाराबंकी से होकर गुजरती है. ये परिक्रमा दो साल बाद निकाली जा रही है. साल 2020 और 2021 में चौरासी कोसी परिक्रमा कोरोना संक्रमण (84 kos parikrama yatra) के चलते नहीं निकाली जा सकी थी. इस परिक्रमा (ayodhya ram mandir) को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं.
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पौराणिक ग्रंथों में इस भूमि के तीर्थ का बड़ा ही महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अवधपुरी धाम की 3 परिक्रमा अनंत काल से चली आ रही हैं. जिसमें 5 कोशी, 14 कोसी व 84 कोसी परिक्रमाओं का व्याख्यान है. धार्मिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अवध धाम की 84 कोसी परिक्रमा करने का अपना विशेष धार्मिक (chaurasi kosi parikrama marg ayodhya) महत्व है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार 84 कोसी परिक्रमा करने वाले जीव को 84 लाख योनियों के भय बंधन से मुक्ति मिल जाती है. अवध की शास्त्रीय सीमा को 84 कोसी परिक्रमा यात्रा कहा जाता है. 84 कोसी परिक्रमा करने वाले साधु संत और दूसरे लोग दिन में केवल एक बार अनाज लेते हैं. परिक्रमा करने वाले तीर्थ यात्रियों का पहला प्रणव बस्ती के रामरेखा स्थित मंदिर में होता है. वहीं अगले दो दूसरे पड़ाव बस्ती के दुबौलिया ब्लाक स्थित हनुमान बाग और अयोध्या जनपद के श्रृंगी ऋषि आश्रम में निर्धारित (ayodhya parikrama 14 kosi) है.
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अवध धाम हनुमान मंडल सहित 84 कोसी परिक्रमा करने वाले यात्रियों और साधु-संतों का अयोध्या के कारसेवक पुरम में पंजीकरण शुरू हो गया है. 84 कोसी परिक्रमा करने के लिए पंजीकरण होना जरूरी है. इसके साथ ही साधु संत हनुमान मंडल समिति के द्वारा 84 कोसी परिक्रमा में हिस्सा लेते हैं. इस समूह में सबसे आगे एक विशाल ध्वज लाल रंग का चलता है जिसमें हनुमान अंकित होते हैं. यही परिक्रमा के समय 84 कोसी परिक्रमा करने वाले साधु संतों की टोली की पहचान (84 kosi parikrama yatra) होती है.