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Baisakhi Festival 2023 : बैसाखी के त्योहार का सूर्य से है खास कनेक्शन, जानें इससे जुड़ा तथ्य

हिंदू पंचांग में जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं.

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Aarya Pandey
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Baisakhi Festival 2023

Baisakhi Festival 2023( Photo Credit : Social Media )

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Baisakhi Festival 2023 : हिंदू पंचांग में जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन को हिंदू नववर्ष की पहली संक्रांति मनाई जाती है. जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है. यह संक्राति वैशाख और अप्रैल के महीने में आती है. इस माह का बहुत खास महत्व है. क्योंकि इसी दिन एक महीने का खरमास खत्म हो जाता है. इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि बैशाख माह का सूर्य से क्या कनेक्शन है, साथ ही मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है. 

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बैसाखी का सीधा संबंध सूर्य से है 
इस पर्व का सीधा संबंध सूर्य से है. जिस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, उसी दिन यह पर्व मनाया जाता है. इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. सूर्य हर साल दिनांक 13 या फिर 14 अप्रैल को मेष राशि में गोचर करते हैं. बता दें, इस बार मेष संक्रांति दिनांक 14 अप्रैल को है. इसके अलावा इस पर्व का सीधा संबंध सिख धर्म से है. इसी दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. तभी से बैसाखी पर्व बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. साथ ही इस माह रबी की फसल पक कर तैयार होती है औऱ उसकी कटाई शुरू होती है. 

हर राज्य में मेष संक्रांति मनाने की है परंपरा 
मेष संक्रांति का पर्व बहुत ही खास माना जाता है. क्योंकि सौर नववर्ष का प्रारंभ भी इसी दिन से होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन तीर्थ स्थल पर भगवान के दर्शन और स्नान करने से सभी पाप धूल जाते हैं. मेष संक्रांति पर पितरों का तर्पण अवश्य करें. इस दिन मधुसूदन भगवान की विशेष पूजा की जाती है. इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं.  यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है. लेकिन इस पर्व का अलग-अलग राज्यों में अलग महत्व है. जैसे कि असम में बीहु, बंगाल में नबा बर्षा और केरल में पूरम विशु, बिहार में सतुआनी, तमिलनाडु में पुथांदु, पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख, ओडिशा में पना संक्रांतिके नाम से यह पर्व मनाया जाता है. 

जानें क्या है मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त 
मेष संक्रान्ति का पुण्य काल सुबह 10 बजकर 55 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
मेष संक्रान्ति का महा पुण्य काल दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.

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