देशभर में आज ईद-उल-अजहा (eid ul adha) का त्योहार मनाया जा रहा है. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इस बार मुस्लिम समुदाय के त्योहार ईद तो फीकी रही ही थी, अब बकरीद भी कोरोना वायरस के साए में मनाई जा रही है. दिल्ली की जामा मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए नमाज अदा की गई. मुस्लिम धर्म में दो मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं- ईद-उल-अजहा और ईद-उल फितर. ईद-उल-अजहा बकरीद को कहा जाता है. मुसलमान यह त्योहार कुर्बानी के पर्व के तौर पर मनाते हैं. इस्लाम में इस पर्व का विशेष महत्व है. लेकिन कोरोना वायरस के कारण यह त्योहार इस बार फीका दिखाई दे रहा है. देश के अलग-अलग राज्यों में कोरोना वायरस के चलते बकरीद पर सीमित छूट ही दी गई है.
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उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने मुस्लिम समाज के प्रमुख त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इस वर्ष कोरोना के प्रकोप को देखते हुए पुलिस और प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरने के लिए कहा गया है. घर पर ही त्योहार मनाने को कहा गया है और सामूहिक रूप से नमाज अदा करने की मनाही है. कोरोना संक्रमण के डर से सभी धार्मिक स्थलों के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं. किसी भी धार्मिक स्थल में सामूहिक रूप से भीड़ इकट्ठा न होने देने की हिदायत दी गई है. साथ ही धर्मगुरुओं से कहा गया है कि बकरीद का त्योहार घर पर मनाएं. लोगों को सामूहिक रूप से नमाज न अदा करने के लिए प्रेरित करें.
मध्य प्रदेश में लॉकडाउन के नियमों के साथ बकरीद का त्योहार मनाना होगा. मध्य प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, सार्वजनिक जगहों पर कुर्बानी नहीं होगी, लोग सिर्फ अपनी निजी जगहों पर ही कुर्बानी कर सकते हैं. कुर्बानी के दौरान 5 से अधिक लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखना होगा. मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों ने सरकार को भी चिंता में डाल दिया है और यही कारण है कि भोपाल में 10 दिन की पूर्ण बंदी का सरकार को फैसला लेना पड़ा है. फिलहाल राज्य के कई जिलों में पूर्णबंदी की गई है.
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महाराष्ट्र में भी कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए नागरिकों से अपने घरों में बकरीद मनाने और सार्वजनिक स्थानों खासकर मस्जिदों में एकत्र नहीं होने को कहा गया है. कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा नहीं होने की सलाह दी जाती है. इस आशय का आदेश जारी करते हुए नागरिकों से सांकेतिक रूप से ‘कुर्बानी’ का रस्म निभाने की अपील भी की गई है.
बकरीद पर गुजरात के कई जिलों में कोरोना संकट के चलते दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. अहमदाबाद और सूरत में उन सार्वजनिक और निजी स्थानों पर जानवरों की कुर्बानी नहीं दी जाए, जहां से आम लोगों को यह दिखे. अधिसूचना में कहा गया है कि सार्वजनिक कुर्बानी से अन्य विश्वास के लोगों की भावनाएं आहत हो सकती है और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है. आदेश में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर प्रतिबंध अनिवार्य है. अधिसूचना में जानवरों को सजाने और कुर्बानी से पहले जुलूस निकालने पर भी प्रतिबंध है. कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष भी सार्वजनिक स्थान पर फेंके जाने से मनाही है.
केरल में मुस्लिम समुदाय ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य के सख्त दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए बकरीद का जश्न साधारण तरीके से मनाने की तैयारी है. दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बड़ी मस्जिदों में 100 लोगों को प्रवेश की अनुमति है, लेकिन शीरीरिक दूरी संबंधी नियमों, मास्क पहनने तथा सैनेटाइजर के इस्तेमाल संबंधी सख्त स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य है. निषिद्ध क्षेत्रों की मस्जिदों में लोगों को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी गई है. वैश्विक महामारी के चलते इस साल विशाल ईदगाहों में नमाज की अनुमति नहीं है.
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कोविड-19 महामारी के मद्देनजर असम सरकार ने भी विभिन्न जिलों की मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करने के लिए 3 से 5 लोगों को एकत्र होने की अनुमति दी है. इस दौरान, मस्जिद और ईदगाह में नमाज के लिए एकत्र होने वाले सभी लोगों को सामाजिक दूरी के नियम के साथ ही केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा.
कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित उत्तराखंड के चार जिलों, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर में इस शनिवार और रविवार लॉकडाउन नहीं रहेगा. त्योहारों के मद्देनजर यह निर्णय किया गया है. इस शनिवार और रविवार को ईद मनाई जा रही है, जबकि उसके बाद सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व है. कोरोना वायरस संक्रमण की चेन को तोड़ने तथा सप्ताहांत पर क्षेत्रों को संक्रमण मुक्त करने के लिए प्रदेश के इन चार सर्वाधिक प्रभावित जिलों में 18 जुलाई के आदेशानुसार शनिवार और रविवार का लॉकडाउन लगाया गया था.