पूरे देश भर में आज बसंत पंचमी का त्योहार यानी सरस्वती पूजा मनाई जा रही है. मास महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा का त्योहार आता है. इस दिन स्कूलों में, मोहल्लों में लोग सरस्वती माता की पूजा-अर्चना करते हैं. कहा जाता कि इस दिन जो भी सच्चे मन से माता सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें माता अपनी आशीर्वाद देती हैं. आइए जानते हैं किस मुहूर्त में और कैसे माता शारदा की पूजा करें.
बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 7.15 बजे से दोपहर 12.52 बजे तक
पंचमी तिथि प्रारंभ: मघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12.25 बजे से शुरू होकर 10 फरवरी दोपहर 2.08 बजे तक रहेगा.
मां सरस्वती की पूजा विधि-
-सबसे पहले सुबह स्नान करके पीला या फिर सफेद कपड़े पहनें
-इसके बाद खुद को और आसन को इस मंत्र से शुद्ध करें “ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥”
इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पीले फूल से जल छींटें.
इसके बाद जल को हाथ में तीन बार लेकर इस मंत्र के जरिए आचमन करें- ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:,
-फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
-मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें.
देवी सरस्वती की प्रतिष्ठा करें. हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ," इस मंत्र को बोलकर अक्षत छोड़ें.
इसके बाद जल लेकर ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्.” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः.''
फिर इन मंत्रों के जरिए सरस्वती माता को चंदन, सिंदूर, वस्त्र और पुष्प चढ़ाएं.
ॐ श्री सरस्वतयै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि.’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं. अब सरस्वती देवी को इदं पीत वस्त्र समर्पयामि कहकर पीला वस्त्र पहनाएं.
- मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें.
मां सरस्वती की आरती करें और दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं. इन मंत्रों के जरिए प्रसाद (लड्डू, बर्फी और मौसमी फल) चढ़ाएं.
“इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं.
- उनका ध्यान कर ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें.
- श्रेष्ठ सफलता प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती पर हल्दी चढ़ाकर उस हल्दी से अपनी पुस्तक पर "ऐं" लिखें.
-इसके बाद सरस्वती माता के मंत्र ‘ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा’ से 108 बार हवन करें. हवन का भभूत माथे पर लगाएं. प्रसाद ग्रहण करें.
धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था. पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था. इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति प्रकट हुई वह सरस्वती देवी कहलाई. उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों में वाणी मिल गई.
Source : News Nation Bureau