Hindu Dharma: हिंदू धर्म के वैदिक ग्रंथों में ऋषि, मुनि, योगी और संत का महत्वपूर्ण योगदान है. ऋषि वे होते हैं जिन्हें शास्त्रों का गहरा ज्ञान होता है. मुनि वे हैं जो गहराई से सोचते हैं. योगी अपनी जिंदगी भगवान की साधना में बिताते हैं. संत समाज को सही राह दिखाते हैं. साधु सही रास्ते पर चलते हैं और सन्यासी संसार को त्याग कर भगवान की खोज में रहते हैं. अगर आसान भाषा में समझा जाए तो ये मुख्य अंतर हैं. लेकिन वैदिक शास्त्रों में इनकी अलग-अलग पहचान और महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. हमारे इतिहास में ऋषि, मुनि, योगी और संत उतना ही योगदान रखते हैं जितना की एक सुखी परिवार में बड़े बुजुर्ग. हिंदू धर्म के प्रत्येक वैदिक ग्रंथों में ऋषि मुनियों का जिक्र जरूर होता है.
वेदों में ऋषि को एक टाइटल बताया गया है जो उन्हें दिया जाता है जो अपने शास्त्रों के बारे में सब कुछ जानते हैं.जिन्हे हर चीज़ के पीछे के साइंस के बारे में भी पता होता है. ऋषि वो कहलाते हैं जिन्हें सब चीजों के बारे में पता होता है. इनकी कही हुई बात कभी भी झूठी नहीं होती इसलिए इनके दिए हुए श्राप और वरदान कभी भी व्यर्थ नहीं जाते. जैसे ऋषि मुरवासा दिए हुए वरदान के कारण ही कुन्ती को सभी देव पुत्र करण, युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम प्राप्त हुए थे. ऋषियों को हम वैदिक काल के साइंटिस्ट भी कह सकते हैं. जैसे की आज के महान साइंटिस्ट की की हुई बात को कोई भी नहीं निकालता. उसी प्रकार सनातन धर्म में कई 1000 वर्ष पहले ऋषियों की कही हुई बात को कोई भी नहीं नकारता था.
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में चार प्रकार के ऋषियों का जिक्र है. पहले महानिशी जो की ऋषियों के भी ऋषि होते थे. दूसरे राज्य ऋषि अगर कोई राजा ऋषियों के लेवल का ज्ञान प्राप्त कर लेता है तो उन्हें राज़ श्री कहा जाता है. तीसरे देव ऋषि अगर कोई देवता बहुत ज्यादा ज्ञान ले लेता है तो उन्हें देव ऋषि कहा जाता है. जैसे नारद मुनि जो की एक देव ऋषि है, चौते ब्रह्म ऋषि, ब्रह्म ऋषि वो होते है. जिनके पास अपार अध्यात्मिक ज्ञान होता है, जैसे ब्रह्म, ऋषि, वशिष्ठ और ब्रह्म ऋषि विश्व मित्र जोकि श्री राम जी के गुरु थे.
मुनि शब्द संस्कृत के एक शब्द मनन से लिया गया है जिसका मतलब सोचना होता है मुनि उन्हें कहा जाता है जो बहुत ही गहराई से सोचते हैं. इनके सोचने की शक्ति हम सबसे बहुत ही ज्यादा आगे होती है.
अब बात करते हैं की साधु और संत कौन होते हैं, हमारे ग्रंथों में साधु उस आदमी को बताया गया है जो हमेशा सही रास्ते पर चलता है, जो कभी किसी के साथ गलत नहीं करता और संत वे कहलाते हैं, जिन्होंने कड़ी तपस्या से ज्ञान हासिल किया हो, जिनसे वह समाज का कल्याण कर सके. सीधे शब्दों में संत वह लोग हैं जो समाज को सही राह दिखाते हैं.
सन्यासी कौन होते हैं अब ये भी जान लें. सन्यासी वो लोग होते हैं जिन्होंने इस संसार को त्याग दिया हो. सिर्फ और सिर्फ भगवान को पाने के लिए जिन्होने इस संसार की सारी मैटेरियलिस्टिक चीजों को छोड़ दिया हो. योगी कौन होते हैं अगर ये प्रश्न आपके मन में है तो ये भी जान लें. योगी अपने आपको संत बताते हैं और उनकी सारी जिंदगी भगवान के साधना करने में ही निकल जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau