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Bedi Hanuman Temple: यहां है बेड़ियो में बंधे हनुमान जी का मंदिर, पौराणिक कथा है बेहद रोचक 

Bedi Hanuman Temple: शायद सपने में भी कोई ये नहीं सोच सकता कि हनुमान जी बेड़ियों से बंध सकते हैं. लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी को बेड़ियों से बांधकर रखा गया है.

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Inna Khosla
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Bedi Hanuman Temple

Bedi Hanuman Temple( Photo Credit : News Nation)

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Bedi Hanuman Temple: उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर बेड़ी हनुमान मंदिर है. हनुमान जी सर्व शक्तिशाली हैं, तो फिर उन्हें बेड़ियों में किसने बांधा और आजतक वो इन बेड़ियों में क्यों बंधे हैं. हनुमान जी और प्रभु जगन्नाथ से जुड़ी ये पौराणिक कहानी बेहद रोचक है. हनुमान जी तो बेड़ियों में बांधने वाले और कोई नहीं बल्कि स्वयं जगन्नाथ जी ही थे. जगन्नाथ जी कोई नहीं बल्कि स्वयं श्री कृष्ण ही है और श्री कृष्ण स्वयं राम है. आप राम को कृष्ण कहे या कृष्ण को? राम बात एक ही है और हनुमान जी श्री राम जी के परम भक्त माने गए जीस कारण वो पुरी में रह कर जगन्नाथ जी के इस मंदिर की रक्षा करते है. दोस्तों जगन्नाथपुरी मंदिर के चार द्वार हैं. उत्तर वाले द्वार को हाथी द्वार या कहे कर्मद्वार कहते हैं. दक्षिण वाले द्वार को अश्व द्वार या कहें काम द्वार कहते हैं. पूर्व दिशा वाले द्वार को सींग द्वार या कहीं मोक्ष द्वार कहते हैं और पश्चिम दिशा वाले द्वार को व्याग्र द्वार या कहे धर्म द्वार कहते हैं. 

इन चारों द्वार के समक्ष हनुमान जी के अलग अलग मंदिर है जहां से वो जगन्नाथ जी के मंदिर की रक्षा करते है तो मंदिर के मुख्य द्वार पर ऐसा ही एक हनुमान जी का मंदिर है, जिसे बेड़ी हनुमान मंदिर या दरिया महावीर मंदिर के नाम से पुकारा जाता है. कथा के अनुसार हनुमान जी को इस बात की जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह समुद्र के क्रोध से वह उसकी लहरों से भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर की रक्षा करे. क्योंकि कई बार समुद्र का जल नगर में प्रवेश करके नुकसान पहुंचा देता था. इससे ही जुड़ी एक दूसरी बात यह भी कही जाती है कि समुद्र मंथन के दौरान उसमें से लक्ष्मी जी निकली थी जो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी बनी. इसके चलते समुद्र भगवान के ससुर हुए और कई बार उनकी भगवान जगन्नाथ जी से मिलने की इच्छा होती थी. परन्तु इस रिश्ते के कारण भगवान उन्हें स्वयं से कुछ नहीं कह पाते थे. इसलिए उन्होंने हनुमान जी को मंदिर की रक्षा का कार्य सौंपा. 

कहा जाता है कि एक दिन हनुमान जी को अयोध्या में एक विशेष कार्यक्रम के आयोजन की खबर मिली तो वो बिना किसी को कुछ बताए सीधा अयोध्या चले गए और वहाँ अपने प्रभु श्री राम के दर्शन करने के बाद जमकर लड्डू खाई. अब उनके पीछे से समुद्र का जल. नगर में प्रवेश कर गया, जिससे नगर के साथ साथ मंदिर में भी काफी नुकसान हो गया. इतना ही नहीं एक और हैरानी वाली बात यह भी कही जाती है कि यह सब देखकर जगन्नाथजी हनुमान जी को बुलवाने स्वयं नहीं गए बल्कि मंदिर में ही बैठे-बैठे अपने हाथों को इतना लम्बा कर दिया और सीधा अयोध्या से हनुमान जी को पकड़ लाये और उन्हें स्वर्ण जंजीरों से बांध दिया. साथ ही उन्हें दिन रात सतर्क रहने का आदेश दिया. ताकि पुनः ऐसी घटना ना हो. इस प्रकार आज तक हनुमान जी जगन्नाथ जी के मंदिर की रक्षा करते आ रहे हैं. हालांकि इन सबके बीच भगवान ने हनुमान जी से उनके इस प्रकार चले जाने का कारण भी पूछा और बाद में स्वर्ण लक्ष्मी जी से उनके लिए अपने हाथों से लड्डू बनाने को कहा, जो माता जानकी का ही रूप है तो दोस्तों बेड़ी हनुमान मंदिर से जुड़ी यति छोटी सी कथा इसी से मिलती जुलती एक और कथा है, जिसके अनुसार समुद्र के पास होने से उसकी लहरों का शोर हमेशा मंदिर के अंदर आता था. 

शोर के कारण भगवान जी रात को सो नहीं पाते थे तो उन्होंने हनुमान जी को अपने कान हमेशा समुद्र की ओर लगा कर रखने को कहा हनुमान जी ने भगवान की आदेशानुसार वैसा ही किया और अपने बड़े बड़े कानों को समुद्र की ओर लगा दिया. पर अगर आज आप जगन्नाथ पूरी मंदिर जाते हैं तो गर्भ ग्रह में प्रवेश करने पर समुद्र का शोर नहीं सुनाई देता तो इस वाले हनुमान मंदिर को लोक कर्णपति मंदिर बोलते हैं. तो कोई कोई इसे कान पाठ मंदिर बोलता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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