Bhadrapada Amavasya 2023: हर महीने में आने वाली अमावस्या का खास महत्त्व होता है. भाद्रपद की अमावस्या पितरों के दान तर्पण के लिए प्रसिद्ध है. इस दिन पूजा पाठ और विशेष उपाय कर आप पितृदोष से भी मुक्ति पा सकते हैं. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं. कुश नाम की घास इस दिन इकट्ठा करके सालभर के लिए रखी जाती है. जिसका इस्तेमाल हर धर्म कर्म के काम में किया जाता है. इस साल 14 सितंबर को कुशग्रहणी अमावस्या तिथि है. मान्यता है कि किसी भी धर्म या कर्म के कार्य के समय अगर अंगूली में अंगूठी की तरह कूश घास को पहनते हैं तो इससे वो व्यक्ति पवित्र हो जाता है. इस दिन पितरों को धूप देना शुभ माना जाता है. लेकिन धूप देने का अर्थ ये नहीं है कि जो धूप अगरबत्ति आप मंदिर में जगाते हैं वही पितरों के नाम कि जगा दें. ये अलग तरह से दी जाती है और पितरों को धूप देने का समय भी अलग होता है.
पितरों को धूप कैसे देते हैं?
गाय के गोबर से बने उपले का इस्तेमाल पितरों को धूप देने के लिए किया जाता है. घर में सबसे पहले आप कंडा जलाएं. जब इससे धुआं निकलना बंद हो जाए तब अंगारों पर आप गुड़ और देसी घी डालें. ध्यान रखें कि जब आप पितरों को धूप दे रहे हैं तब उनका ध्यान मन में जरुर करें. घर की सुख शांति की कामना करें. जब आप पितरों का नाम की धूप दे दें, तब उसके बाद दायीं हथेली में जल रखें और अंगूठे से पितरों को अर्पित करें. इस विधि से अगर आप कुशग्रहणी अमावस्या के दिन पितरों को धूप देते हैं तो इससे आपके पितरों की कृपा आप पर बनीं रहती है.
पितरों को धूप देने का सही समय क्या है?
ये तो सब जानते हैं कि सुबह और शाम के समय देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है. पितरों को धूप इस समय गलती से भी ना दें. दोपहर 12 बजे के आसपास का समय पितरों को धूप देने के लिए शास्त्रों के अनुसार उत्तम माना जाता है. कहते हैं इस दौरान आपके पितर धरती पर होते हैं और उन्हे जब आप धूप देते हैं तो उनकी कृपा आप और आपके परिवार पर बनीं रहती है.
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तो पितरों की शांति, पितृदोष निवारण के लिए आप भाद्रपद में आने वाली कुशग्रहणी अमावस्या के दिन ये उपाय जरुर करें. हर साल अगर आप नियमपूर्वक ये उपाय करते हैं तो इससे भी आपको लाभ होता है. आपके पितरों का आशीर्वाद आप पर बना रहता है और पितृदोष भी नहीं लगता.
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