Bhagwan Ganesh Ki Kahani: एक ब्राह्मण दंपति को संतान न होने के कारण दुखी रहना पड़ता था. पति-पत्नी दोनों गणेश जी महाराज की पूजा करते थे. एक दिन गणेश जी महाराज ने पत्नी की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर उसे एक सुंदर बालक का वरदान दिया. पति ने पहले विश्वास नहीं किया, लेकिन बाद में गणेश जी महाराज ने स्वप्न में आकर सच्चाई बताई. इसके बाद दंपति ने गणेश जी की पूजा जारी रखी और सुखी जीवन बिताया. कैसे भगवान गणेश इनसे प्रसन्न हुए और उन्हें संतान सुख दिया आइए ये इस पौराणिक कथा में जानते हैं.
एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण दंपति रहते थे जिसके कोई संतान नहीं थी. इस वजह से ये पति पत्नी दोनों दुखी रहा करते थे. एक बार ब्राह्मण गणेश जी महाराज की पूजा पाठ करने के लिए वन में चला गया. वहां वह पूजा के साथ गणेश जी महाराज से एक पुत्र की कामना भी किया करता था. घर पर उसकी पत्नी भी पुत्र प्राप्ति के लिए गणेश जी महाराज की पूजा पाठ किया करती थी. गणेश जी महाराज को भोग लगाकर अंत में खुद भोजन ग्रहण करती थी.
एक बार कोई व्रत आ गया जिसके कारण ब्राह्मणी भोजन ना बना सकी और गणेश जी महाराज को भोग भी नहीं लगा सकी. अब वह अपने मन में ऐसा पढ़कर के सो गई कि अब गणेश जी महाराज को भोग लगाकर ही अन जल ग्रहण करूंगी. वह भूखी प्यासी 6 दिन तक पड़ी रही और बुधवार के दिन गणेश जी महाराज की पूजा पाठ के पहले ही मुरझा गई.
गणेश जी महाराज उसकी सच्ची लग्न और निष्ठा को देखकर प्रसन्न हो गए. उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि मैं तुमसे अति प्रसन्न हूं, मैं तुम्हे एक सुंदर बालक देता हूं जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा. भगवान गणेश उसको एक छोटा सा बालक देकर अंतर्धन हो गए. सुंदर बालक पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हो गई. ब्राह्मणी ने उस बालक का नाम गणेशा रखा.
कुछ समय के पश्चात ब्राह्मण वन से लौटकर आया और एक सुंदर बालक को घर में खेलता देखकर ब्राह्मणी से पूछा कि यह बालक कौन है? पत्नी से कहा कि मुझ से गणेश जी महाराज ने प्रसन्न होकर और दर्शन दिए. दर्शन में उन्होंने यह वरदान स्वरूप बालक दिया है. ब्राह्मण को पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ, उसने सोचा. यह कुल्टा अपनी कलुष्टता छिपाने के लिए बातें बना रही है.
एक दिन ब्राह्मण कुएं पर पानी भरने गया तो ब्राह्मणी ने कहा कि गणेश को भी साथ ले जाओ. ब्राह्मण गणेशा को साथ ले गया परन्तु वह उस बालक को अपना पुत्र नहीं मानता था. वह उसको नाजायज मानता था, इसलिए उसे कुएं में डालकर पानी भरकर घर वापस आ गया. ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से पूछा कि गणेश कहा है? तब गणेश मुस्कुराता हुआ घर वापस आ गया. उसे वापस आया देख ब्राह्मण आश्चर्यचकित हो गया.
रात्रि में ब्राह्मण को गणेश जी महाराज ने स्वप्न में कहा कि यह बालक मैंने तुम्हारी पत्नी को वरदान के स्वरुप दिया है, उसने मेरी सच्ची भक्ति की है, तुम अपनी पत्नी को कुल्टा क्यों कहते हो. ये बालक मैंने वरदान में तुम्हे दिया है ब्राह्मण यह बात जानकर बहुत प्रसन्न हुआ. इसके बाद ये ब्राह्मण दंपति दोनों गणेश जी महाराज की पूजा पाठ करने लग गए और जीवन आनंद पूर्वक बिताने लग गए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau