Bharat ka Sabse Bada Madarsa: उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर जिले में स्थित दारुल उलूम देवबंद भारत के सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी मदरसों में से एक है. यह 1857 में स्थापित किया गया था और माना जाता है कि यह एशिया का सबसे बड़ा मदरसा है. दारुल उलूम देवबंद की स्थापना हाजी महमूद नानौतवी और मौलाना मुहम्मद कासिम नानौतवी ने की थी. इनकी मंशा मुसलमानों के बीच धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देना और उन्हें ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए प्रेरित करना था.
दारुल उलूम देवबंद में इस्लाम धर्मशास्त्र, हदीस, कुरान व्याख्या, अरबी भाषा और साहित्य सहित विभिन्न विषयों पर शिक्षा दी जाती है. मदरसे में लगभग 40,000 छात्र अध्ययनरत हैं और 2,000 से अधिक शिक्षक उन्हें पढ़ाते हैं. दारुल उलूम देवबंद का भारत और दुनिया भर के मुसलमानों पर गहरा प्रभाव रहा है. इसने कई प्रसिद्ध विद्वानों और धार्मिक नेताओं को जन्म दिया है. मदरसा दारुल उलूम वहाबी विचारधारा का केंद्र रहा है, जो इस्लाम की एक सुधारवादी शाखा है. बता दें कि देश में अभी 24 हजार और यूपी में 16,513 मदरसे हैं.
हालांकि दारुल उलूम देवबंद कई विवादों में भी रहा है. इस पर आतंकवादियों को समर्थन देने और कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. हालांकि, मदरसे ने इन आरोपों से इनकार किया है. दारुल उलूम देवबंद एक महत्वपूर्ण इस्लामी शिक्षा संस्थान है जिसका भारत और दुनिया भर के मुसलमानों पर गहरा प्रभाव रहा है. यह अपनी शिक्षा, विद्वानों और विचारधारा के लिए जाना जाता है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
ये भी पढ़ें -
Vastu Tips: घर की सजावट के लिए कांच का कर रहे इस्तेमाल? तो बिल्कुल न करें ये गलतियां
Sapne Me Phul Dekhna: सपने में फूल देखना देता है धन से जुड़े गंभीर संकेत, जानें क्या है उसका मतलब
Ancestors Blessings: पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए करें ये 5 काम, घर में आएगी खुशहाली और सुख समृद्धि
Source : News Nation Bureau