राम मंदिर भूमि पूजन (Ram Temple Bhoomi Pujan) के ऐतिहासिक समारोह में 'रामलला' शंकरलाल और भगवत लाल द्वारा तैयार की गई नवरत्न जड़ित विशेष पोशाक में सजेंगे. पिछले करीब 35 सालों से पूज्य प्रतिमाओं के परिधान सिल रहे इन दर्जी बंधुओं की अभीष्ट इच्छा आगामी पांच अगस्त को पूरी होने जा रही है. अयोध्या (Ayodhya) के बड़ी कुटिया इलाके में अपने पिता बाबूलाल के नाम से सिलाई की दुकान चलाने वाले शंकरलाल और भगवत लाल सिर्फ मूर्तियों और साधु संतों के लिए ही कपड़े सिलते हैं. करीब 54 वर्षीय शंकरलाल ने सोमवार को को बताया कि उनके पिता बाबूलाल ने वर्ष 1985 में रामलला के परिधान सिलना शुरू किया था. वह राम जन्मभूमि (Ram Janm Bhoomi) में अपनी सिलाई मशीन लेकर जाते थे. इस दौरान वह और उनके भाई भगवत लाल अपने पिता के साथ मिलकर रामलला के परिधान सिलते थे.
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आगामी बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए होने जा रहे भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर बेहद उत्साहित शंकरलाल ने कहा कि यह उनके मन की मुराद है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो और उसके भूमि पूजन के दिन रामलला उनके हाथों से सिले परिधान धारण करें. शंकरलाल ने बताया कि भूमि पूजन के दिन के लिए रामलला की पोशाक के दो सेट तैयार किए गए हैं. इनमें से एक हरे रंग का है जबकि दूसरा भगवा रंग का. उन्होंने बताया कि यह परिधान मखमल से बनाए गए हैं. हरे रंग की पोशाक उस दिन के रंग को ध्यान में रखकर तैयार की गई है जबकि भगवा को पवित्र रंग माना जाता है. बुधवार को रामलला पहले हरी पोशाक और बाद में भगवा पोशाक धारण करेंगे.
शंकरलाल ने बताया कि रामलला के परिधान का रंग हर दिन के हिसाब से बदलता है. सोमवार को वह सफेद पोशाक धारण करते हैं जबकि मंगलवार को लाल और बुधवार को हरा. बृहस्पतिवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम रंग का, शनिवार को नीला और रविवार को उन्हें गुलाबी वस्त्र पहनाया जाता है. शंकरलाल ने बताया कि भूमि पूजन समारोह के लिए तैयार की गई विशेष पोशाक में स्वर्ण धागे पर नवरत्न जड़े गए हैं, क्योंकि राम लला की वस्त्रों की शोभा इनसे और खिलती है. इस बीच, रामलला मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि समारोह के लिए सिली गई पोशाकें रविवार को उनके सुपुर्द कर दी गई हैं.
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शंकरलाल ने बताया कि रामलला की पोशाक बनाने के लिए पहले 11 मीटर लंबा कपड़ा चाहिए था लेकिन अब हमें 17 मीटर कपड़े की जरूरत है. अयोध्या में जब भव्य राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा तो पता नहीं भगवान राम तथा अन्य प्राण-प्रतिष्ठित मूर्तियों की पोशाकों के लिए कितने कपड़े की जरूरत पड़ेगी. शंकर लाल के बड़े भाई भगवत लाल ने परिधान सिलने की विशेषज्ञता का श्रेय भगवान को दिया.
उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार इसी काम में लगा हुआ है. वह सिर्फ देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और साधु-संतों के लिए ही कपड़े सिलते हैं. ताज्जुब की बात यह है कि उनका पूरा परिवार अपने कपड़े सिलवाने के लिए दूसरे दर्जियों पर निर्भर करता है. भगवत लाल ने कहा कि रामलला की सेवा करने का मौका मिलने की खुशी को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. बहरहाल इन दोनों दर्जी बंधुओं की दुकान देश-विदेश के मीडिया के लिए इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
Source : Bhasha