बृज की होली यानी कि असीम आनंद की अनुभूति. हम आपको बृज में मनाए जाने वाली हर तरह की होली की जानकारी दे रहे हैं. ऐसे में आज बारी है बरसाना की लट्ठमार होली की (Barasana Latthmaar Holi 11 March 2022). बरसाना की लट्ठमार होली सिर्फ फाग का आनंद उठाने का जरिया नहीं बल्कि बृज की दिव्यता का स्रोत भी है. माना जाता है कि लट्ठमार होली के दौरान बृज भूमि पर पड़ा गुलाल अगर सच्ची श्रद्धा से शरीर पर या शरीर की किसी चोट पर लगाया जाए तो शारीरिक पीड़ा का सदैव के लिए अंत हो जाता है.
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बरसाने की लट्ठमार होली देश और दुनिया में भी काफी प्रसिद्ध है. फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को बरसाने में लट्ठमार होली मनाई जाती है. नवमी के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लट्ठमार खेलने के पीछे एक रोचक कथा है. जिसके अनुसार, लट्ठमार होली खेलने की परंपरा भगवान कृष्ण के समय से चली आ रही है. बरसाना और नंदगाँव शहर में लठमार होली मनाई जाती है. बरसाना में राधा रानी मंदिर परिसर उत्सव का स्थल बन जाता है.
ऐसी मान्यता है कि, भगवान कृष्ण अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना गए थे. जिसके बाद नटखट नंदलाल कन्हैया ने अपने ग्वाल बाल मित्रों के साथ मिलकर राधा और उनकी सखियों संग छेड़खानी की. राधा और उनकी सखियों ने कान्हा और उनके सखाओं को सबक सिखाने के लिए हाथ में छड़ी उठाली और उनके पीछे दौड़ पड़ीं. इसी वाकये के बाद से ही होली पर ये परंपरा स्थापित हो गई कि पहले दिन नंदगांव के पुरुष बरसाना में होली खेलने आएंगे और दूसरे दिन बरसाना के पुरुष नंदगांव जाएंगे. आज तक इस परंपरा कप बृज में होली के अवसर पर धूम धाम से मनाया जाता है. नंदगाँव के पुरुष हर साल बरसाना शहर आते हैं और उनका अभिवादन वहां की महिलाओं की लाठी से किया जाता है. महिलाएं पुरुषों पर लाठी मारती हैं, और जितना हो सके पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं. इसके लिए वो एक ढाल का इस्तेमाल भी करते हैं.
कई जानकारों के मुताबिक, बरसाने की लठमार होली के दौरान जिस भी पुरुष से लट्ठ छिव जाता है उस पुरुष को महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते हैं और सार्वजनिक रूप से नृत्य करना पड़ता है. लठमार होली उत्सव एक सप्ताह से अधिक समय तक चलता है, जहाँ कई पुरुष नृत्य करते हैं, गाते हैं और अपने आप को श्री राधे रंग में डुबोते चले जाते हैं. बरसाना की लट्ठमार होली से जुड़ी ये भी मान्यता है कि लट्ठमार होली के दौरान बृज भूमि पर पड़ा गुलाल अगर सच्ची श्रद्धा से शरीर पर या शरीर की किसी चोट पर लगाया जाए तो शारीरिक पीड़ा का सदैव के लिए अंत हो जाता है. बृज के कई जानकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि अगर किसी व्यक्ति को लट्ठमार होली खेलते के दौरान लट्ठ जोर से लग जाए तो चोट पर दवाई लगाने की बजाए बृज की भूमि पर पड़ा गुलाल लगाया जाता है और वाकई में उस व्यक्ति का दर्द राधा रानी की कृपा से कुछ ही क्षण में लुप्त हो जाता है. इसी कारण से बृज की भूमि को चमत्कारिक माना गया है.