Buddha Purnima Chand Puja Time: चांद को ज्ञान, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र पूजा करने से इन गुणों को प्राप्त करने में मदद मिलती है. चंद्रमा को ज्ञान का देवता माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है. चंद्रमा को शांति का प्रतीक माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र पूजा करने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. चंद्रमा को समृद्धि का देवता भी माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र पूजा करने से धन, वैभव और सफलता प्राप्त होती है. चंद्र पूजा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
चंद्रमा की पूजा का शुभ मुहूर्त (Chandra puja Shubh Muhurat)
चांद की पूजा का शुभ मुहूर्त 23 मई 2024 को रात 08:15 बजे से 09:45 बजे (IST) तक है.
चांद कितने बजे निकलेगा? (Chand Nikalne Ka Time)
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञानोदय और महापरिनिर्वाण का पावन पर्व है. इस दिन चांद की पूजा करना विशेष महत्व रखता है. चन्द्रोदय का समय 19:11:59 है. आप आज रात गंगा स्नान करके चंद्र देवता की पूजा करें.
चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दिया जाता है? (Chandrma Arg Vidhi)
चांद की पूजा करते समय सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. अर्घ्य में घी और शहद भी शामिल कर सकते हैं. पूजा के दौरान ध्यान और मनन करना चाहिए. प्रार्थना में लालच और स्वार्थ से मुक्त रहकर सर्व कल्याण की भावना रखनी चाहिए.
पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को शांत और स्वच्छ रखें. दीपक जलाएं और धूप जलाएं. चंद्रदेव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. अगर आपके पास प्रतिमा या तस्वीर नहीं है, तो आप चंद्रमा की ओर मुंह करके पूजा कर सकते हैं. पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन ग्रहण करें. पूजा का संकल्प लें. इसमें आप भगवान बुद्ध से ज्ञान, शांति और समृद्धि प्राप्ति की प्रार्थना कर सकते हैं. चंद्रदेव को अर्घ्य दें, अर्घ्य में जल, दूध, घी, शहद और तुलसी के पत्ते शामिल कर सकते हैं.
मंत्र: चंद्रदेव के मंत्र का जाप करें-
ॐ सोमया नमः
ॐ चंद्राय नमः
ॐ शीं शीवाय नमः
चंद्रदेव की आरती गाएं या श्रवण करें. भगवान बुद्ध और चंद्रदेव से प्रार्थना करें. चंद्रदेव को भोग लगाएं. भोग में फल, मिठाई और दही शामिल कर सकते हैं. दीपदान करें और पूजा के समाप्त होने पर प्रसाद ग्रहण करें. पूजा के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें. मन में बुरी भावनाएं न लाएं. पूजा को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau