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Buddhist Story: माता-पिता के अच्छे और बुरे कर्मों का फल उनके बच्चों को भोगना पड़ता है या नहीं, जानिए

Buddhist Story: कर्मों का फल तो सबको मिलता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपको आपके माता-पिता के कर्मों का फल भी मिलता है. ये बौद्ध धर्म के लोग मानते हैं और इसी से जुड़ी एक पुरानी कहानी हम आपको बता रहे हैं.

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Inna Khosla
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Buddhist Story

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Buddhist Story: बौद्ध धर्म में ये बताया गया है कि कैसे एक व्यक्ति को उसके माता-पिता को कर्म फल भोगना पड़ता है. एक पौराणिक कथा से जानते हैं कि व्यक्ति अपने माता-पिता के अच्छ कर्मों का फल कैसे भोगता है. बहुत समय पहले की बात है एक महान तपस्वी अपने आश्रम में रहते थे. एक दिन उनकी पत्नी ने उनसे पूछा, स्वामी, क्या बच्चों को उनके माता-पिता के अच्छे और बुरे कर्मों का फल भुगतना पड़ता है? तब महात्मा ने कहा, हे देवी, हां, बच्चों को उनके माता-पिता के अच्छे और बुरे कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. मैं तुम्हें एक प्राचीन कहानी सुनाता हूं जिसे सुनकर तुम जान पाओगी कि कैसे माता-पिता के कर्मों का असर उनके बच्चों पर पड़ता है.

महात्मा ने कहानी शुरू की और कहा, यह बहुत पुराने समय की बात है. एक गांव में एक गरीब आदमी रहता था. वह बहुत मेहनत करता था और अपने परिवार का पालन-पोषण करता था. उसे रोज़ 50 रुपये मजदूरी मिलती थी और वह हर दिन उसमें से आधा दान कर देता था. कुछ समय बाद उसके घर में एक लड़के का जन्म हुआ. अब उसके परिवार में तीन सदस्य थे - पति, पत्नी और उनका बेटा. लेकिन धीरे-धीरे महंगाई बढ़ने लगी और उस गरीब आदमी के लिए परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया.

एक दिन उसके बेटे ने उससे पूछा, पिताजी, आप रोज़ 50 रुपये कमाते हो और उसमें से आधा दान कर देते हो फिर हम कैसे गुजारा करेंगे? उसकी पत्नी ने बेटे से कहा, तुम्हारे पिता यह दान तुम्हारे लिए ही करते हैं. लेकिन बच्चा बहुत छोटा था और वह यह बात नहीं समझ सका.

कुछ समय बाद उस आदमी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई. जब उसकी पत्नी और बेटे को यह खबर मिली तो वे बहुत दुखी हुए. एक दिन बेटे ने अपनी मां से पूछा, मां, पिताजी कहां चले गए? उसकी मां ने जवाब दिया, बेटा तुम्हारे पिता यमराज के पास चले गए हैं. तब लड़के ने कहा, मैं यमराज के पास जाऊंगा और उन्हें कहूंगा कि वे मेरे पिता को वापस भेज दें.

लड़के की मां ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया. एक दिन, जब उसकी मां काम पर गई थी, तो लड़के ने सोचा कि वह यमराज के पास जाकर अपने पिता को वापस लाएगा. उसने घर से निकलकर यात्रा शुरू की. चलते-चलते वह एक बड़े आम के पेड़ के नीचे बैठ गया. पेड़ ने उससे पूछा, तुम कौन हो और कहां जा रहे हो? लड़के ने जवाब दिया, मैं अपने पिता को वापस लाने के लिए यमराज के पास जा रहा हूं. तब पेड़ ने उससे कहा, यमराज से मेरा प्रश्न भी पूछना कि मैं इतने सालों से यहाँ खड़ा हूँ, मेरे पत्ते न गिरते हैं और न ही मेरी शाखाएँ सूखती हैं.

लड़के ने पेड़ से वादा किया कि वह यमराज से उसका प्रश्न पूछेगा और अपनी यात्रा जारी रखी. रास्ते में उसे एक इच्छाधारी सांप मिला, जिसने भी उससे वही सवाल पूछा. सांप ने कहा, यमराज से मेरा प्रश्न पूछना कि मैं यहां इतने सालों से अचल हूं, न चल सकता हूं न हिल सकता हूं.

इसी तरह, लड़के को रास्ते में कई और लोग मिले, जिनमें एक किसान, एक तालाब की बत्तख और एक मृत बगुला शामिल थे. सभी ने अपने-अपने प्रश्न यमराज से पूछने को कहा. अंततः लड़का यमपुरी पहुंच गया और यमराज से अपने पिता को वापस भेजने की विनती की. यमराज ने उसकी बात सुनी और सभी के प्रश्नों का उत्तर दिया. लड़के ने यमराज के उत्तरों को उन सभी को बताया, जिन्हें वह रास्ते में मिला था. यमराज के उत्तरों के अनुसार, उन सबकी समस्याओं का समाधान हुआ और उनकी आत्माओं को मुक्ति मिल गई.

अंत में लड़का अपने घर लौटा और अपनी मां से सारी बातें बताईं. महात्मा ने अपनी पत्नी से कहा, इस प्रकार, बच्चे अपने माता-पिता के कर्मों का फल भोगते हैं और पूर्व जन्म के कर्मों का भी असर होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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