Budh Pradosh Vrat 2024: ज्येष्ठ मास के दूसरा प्रदोष व्रत पर जरूर करें यह काम, घर में जमकर बरसेगा पैसा!

Budh Pradosh Vrat 2024: मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद इस स्तुति का जाप जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है.

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Sushma Pandey
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jyeshta maas pradosh vrat 2024

jyeshta maas pradosh vrat 2024( Photo Credit : SOCIAL MEDIA )

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Budh Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है. पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने का विधान है. इस बार ज्येष्ठ मास के दूसरा प्रदोष व्रत 19 जून 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा. बुधवार पड़ने की वजह से यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. इसके साथ ही इस दिन पूजा के बाद आपको इस शिव स्तुति का जाप अवश्य करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं साथ ही धन लाभ होता है. अगर आप भी शिव जी की कृपा पाना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें यह स्तुति. ऐसे में आइए यहां पढ़ें पूरी शिव स्तुति. 

शिव स्तुति मंत्र (Shiv Stuti Ka Path)

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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