Case Against Lord Krishna: सनातन धर्म वह धर्म है जो न केवल प्रश्नों का स्वागत करता है बल्कि शास्त्रार्थ के माध्यम से अपने सिद्धांतों की सच्चाई को भी प्रमाणित करता है. यह धर्म सृष्टि के आरंभ से चला आ रहा है और प्रलय तक बना रहेगा. हालांकि, सनातन धर्म की महानता और उसके आदर्शों पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसा ही एक मामला पोलैंड की राजधानी वारसा में सामने आया, जब इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) के बढ़ते प्रभाव के चलते एक नन ने भगवान श्री कृष्ण पर आरोप लगाते हुए केस फाइल किया.
नन ने अदालत में दावा किया कि इस्कॉन के अनुयायी एक ऐसे भगवान का गुणगान करते हैं, जिनका चरित्र विवादित है. उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण की गोपियों संग रासलीला और उनकी 16000 पत्नियों का वर्णन अश्लीलता को बढ़ावा देता है. नन ने अदालत से आग्रह किया कि इस्कॉन को पोलैंड में प्रतिबंधित कर दिया जाए, क्योंकि यदि इस भगवान के अनुयायी बढ़ेंगे, तो समाज में अराजकता और अश्लीलता फैलेगी.
अदालत में इस्कॉन का जवाब
अदालत में इस्कॉन की ओर से एक विद्वान ने नन के आरोपों का जवाब देने के लिए अदालत से अनुमति मांगी. उन्होंने जज से अनुरोध किया कि नन को वह शपथ दोहराने के लिए कहें, जो उन्होंने नन बनने के समय ली थी. जब नन कुछ नहीं बोली तो विद्वान ने खुद उस शपथ को पढ़कर सुनाया. इस शपथ में कहा गया था कि हर नन अपने जीवन को जीसस क्राइस्ट की पत्नी के रूप में बिताने की शपथ लेती है.
विद्वान ने आगे कहा कि श्री कृष्ण की 16000 पत्नियों का संदर्भ वास्तव में उस समय की ऐतिहासिक घटना से जुड़ा हुआ है, जब उन्होंने नरकासुर नामक असुर से 16000 कन्याओं को मुक्त करवाया था. श्री कृष्ण ने उनके सम्मान के लिए उनसे विवाह किया. इसके अलावा, श्री कृष्ण का रासलीला करना भी एक प्रतीकात्मक संदेश है, जिसमें उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि स्त्रियों को बिना कपड़ों के जल में नहीं नहाना चाहिए.
अदालत का फैसला और इस्कॉन की विजय
विद्वान की तर्कपूर्ण बातें सुनकर अदालत का माहौल तालियों से गूंज उठा. नन को कोई उत्तर नहीं सूझा और जज ने इस्कॉन के खिलाफ मुकदमा खारिज कर दिया. इस फैसले के बाद न केवल पोलैंड में बल्कि पूरी दुनिया में इस्कॉन की प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई.
आपको बता दें कि ये मामला नया नहीं बल्कि साल 2011 का है. हिंदी मीडिया में छपी खबर के अनुसार, नन को इस्कॉन से पुजारी से करारी हार मिली. इस घटना ने फिर से यह साबित कर दिया कि सनातन धर्म के आदर्शों पर किसी को भी सवाल उठाने से पहले हजार बार सोचना चाहिए.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)