हिंदू धर्म में नवरात्रि की बहुत मान्यता होती है. आज नवरात्रि का आखिरी दिन है क्योंकि आज महानवमी है. आज के दिन मां दुर्गा के मां सिद्धीदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. वहीं कल यानी कि 15 अक्टूबर को दशहरा है. इस दिन व्रत रखकरर मां सिद्धीदात्री की विधि विधान से पूजा की जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा ने असुरों के राजा महिषासुर का वध करके देवी देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. उन्हें महिषासुरमर्दिनी या महिषासुर के संहारक के रूप में भी जाना जाता है. तो चलिए आपको इस दिन पर कुछ खास विशेषताएं बता देते हैं.
चलिए पहले आपको इस दिन की पूजा-विधि के बारे में बता देते हैं. इस दिन सुबह जल्दी नहा-धोकर साफ कपड़े पहनकर मां सिद्धीदात्री की पूजा की जाती है. मां को प्रसाद, नवरस से भरपूर भोजन, नौ तरह के फल-फूल चढ़ाए जाते हैं. फिर दीप-धूप लेकर मां की आरती उतारनी चाहिए. मां के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए. माना जाता है इस दिन पर मां सिद्धीदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धीयां प्राप्त होती है. और मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. साथ ही उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं.
धार्मिक ग्रंथों में नवरात्रि के सभी दिनों में से नवमी के दिन को सबसे उत्तम माना जाता है. मान्यता है कि महानवमी को की जाने वाली पूजा, नवरात्रि के अन्य सभी 8 दिनों में की जाने वाली पूजा के बराबर पुण्य फलदायी होती है. नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सुबह-सुबह उठकर महाकर साफ कपड़ा पहनें चाहिए. उसके बाद कलश स्थापना के स्थान पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करके उन्हें गुलाबी फूल चढ़ाने चाहिए. उसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती जलाकर उनकी पूजा करनी चाहिए. उसके बाद मां सिद्धिदात्री के बीज मंत्रों की जाप करनी चाहिए. उसके बाद आरती करके पूजा समाप्त करनी चाहिए.
इसके शुभ मुहूर्त की बात करें तो नवमी का शुभ मुहूर्त कल रात यानी कि 13 अक्टूबर की रात 8:07 से ही शुरू हो गई थी. जो आज शाम 6:52 तक समाप्त होगी.
इस दिन हवन करने का भी बहुत महत्व होता है. जिसके लिए हवन की सामग्री में आम की लकड़ियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे, घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची, गाय के गोबर से बने उपले, घी, नीरियल, लाल कपड़ा, कलावा, सुपारी, पान, बताशे, पूरी और खीर शामिल है.
अब हवन की सामग्री इकट्ठी हो गई है. साथ में आपको हवन की विधि भी बता देते है. इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए. उसके बाद नहा-धोकर अच्छे वस्त्र पहनने चाहिए. शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति-पत्नी को साथ में बैठना चाहिए. हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ियों को रखकर अग्नि जलानी चाहिए. हवन कुंड के सभी देवी-देवताओं के नाम की आहूति देनी चाहिए. अंत में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए. हवन समाप्त करने के बाद आरती करके भोग लगाना चाहिए. इसके बाद कन्या पूजन करना चाहिए.
Source : News Nation Bureau