Chaitra Navratri 2019 : 6 अप्रैल से शुरू हैं नवरात्रि, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि

नवरात्र साल में दो बार आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग-अलग है.

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Akanksha Tiwari
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Chaitra Navratri 2019 : 6 अप्रैल से शुरू हैं नवरात्रि, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि

(फाइल फोटो)

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चैत्र नवरात्र 2019 (Chaitra Navratri 2019) का आगाज़ होने जा रहा है इसी हफ्ते के शनिवार 6 अप्रैल से पहला नवरात्र मनाया जाएगा और पहले दिन मां दुर्गा की पहली शक्ति देवी शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी. हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार चैत्र मास में साल का नया वर्ष होता है. चैत्र नवरात्रि इस बार 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 अप्रैल तक रहेगी. इन नौ दिनों मे मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है. इस बार चैत्र नवरात्रि पर कई शुभ योग भी बन रहा है. तो साल में दो बार नवरात्र आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग-अलग है. इस बार यह भी कहा जा रहा है कि इस बार नवमी भी दो दिन मनेगी.

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navaratri) 6 अप्रैल के दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच स्थापना करना बेहद शुभ होगा.

जानें किस-किस दिन होगी कौन सी देवी की पूजा

  • पहला नवरात्र- 6 अप्रैल, स्थापना व मां शैलपुत्री पूजा, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
  • दूसरा नवरात्र- 7 अप्रैल, मां चंद्रघंटा पूजा
  • तीसरा नवरात्र- 8 अप्रैल, मां कुष्मांडा पूजा

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  • चौथा नवरात्र- 9 अप्रैल, मां स्कंदमाता पूजा
  • पांचवां नवरात्र- 10 अप्रैल, सरस्वती आह्वाहन
  • छठा नवरात्र- 11 अप्रैल, मां कात्यायनी पूजा
  • सातवां नवरात्र- 12 अप्रैल, मां कालरात्रि पूजा
  • आठवां नवरात्र- 13 अप्रैल, दुर्गा अष्टमी
  • नवमी- 14 अप्रैल, मां महागौरी पूजा, महानवमी

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कलश स्थापना के लिए सामग्री

चावल, सुपारी, रोली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण, यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि.

नवरात्रि पूजा विधि

  • मां दुर्गा का चित्र स्थापित करें एवं पूर्वमुखी होकर मां दुर्गा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं
  • फिर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल के नौ कोष्ठक, नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूं के सोलह कोष्ठक बनाएं
  • एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसके नीचे गेहूं अथवा चावल डाल कर रखें.

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  • उसके बाद उस पर नारियल रखें, उसके बाद तेल का दीपक एवं शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करें.
  • मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला करके उसमें जौ के दाने डालें, उसे चौकी के बाईं तरफ कलश के पास स्थापित करें.

चैत्र नवरात्रि का महत्व

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चैत्र नवरात्रि का महत्व बहुत ज्यादा है. यदि कोई भक्त चैत्र नवरात्रि में बिना किसी इच्छा के मां दुर्गा की पूजा व अर्चना करता हैं तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. और उसका पूरा जीवन सुखमय व्यतीत होता है.

Source : Akanksha Tiwari

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