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Chaitra Navratri 2019 : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की होगी पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navaratri) शुरू हो रहा है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है.

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Deepak Pandey
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Chaitra Navratri 2019 : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की होगी पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज से नवरात्र शुरू हो गया है

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आज से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navaratri) शुरू हो रहा है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं. ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा. नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है.

मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लाइन लग गई है. भक्तों ने मंदिरों में पूजा-अर्चना कर भगवान से मन्नतें मांगी हैं. आज से शुरू नवरात्रि 14 अप्रैल तक चलेंगे. इस नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष भी मनाया जाता है. साल में सबसे पहले आने वाले इस नवरात्रि (Chaitra Navratri) के साथ-साथ हिंदू नव वर्ष (Hindu Nav Varsh) भी मनाया जाता है. साल में दो बार नवरात्र‍ि (Navratri) पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्र (Chaitra Navaratri) और शारदीय नवरात्र (Sharad Navaratri) के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा चैत्र नवरात्र का हिंदू धर्म में खास व्रत माना जाता है. चैत्र नवरात्रि का ये है शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि की तिथियां के साथ जानिए माता के रूपों के नाम :-

  • 6 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का पहला दिन - शैलपुत्री का पूजन
  • 7 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का दूसरा दिन - बह्मचारिणी पूजन
  • 8 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का तीसरा दिन - चंद्रघंटा का पूजन
  • 9 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का चौथा दिन - कुष्‍मांडा का पूजन
  • 10 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का पांचवां दिन - स्‍कंदमाता का पूजन
  • 11 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का छठा दिन - सरस्‍वती का पूजन
  • 12 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का सातवां दिन - कात्‍यायनी का पूजन
  • 13 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का आठवां दिन - कालरात्रि का पूजन (कन्‍या पूजन)
  • 14 अप्रैल 2019 : नवरात्रि का नौवां दिन - महागौरी का पूजन (कन्‍या पूजन, नवमी हवन और नवरात्रि पारण)

चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त

इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : सुबह 06:19 से 10:26 तक
ये मंत्र पढ़ें : अब "ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।"

पूजा विधि

  • सबसे पहले सुबह नहाकर मंदिर के पास ही पटले पर आसन बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करें.
  • माता को चुनरी चढ़ाएं और शुभ मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना करें.
  • सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लें और माता की पूजा आरंभ करें.
  • नवरात्रि ज्योति प्रज्वलित करें इससे घर और परिवार में शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है.
  • माता को लैंग, पताशा, हरी इलायची और पान का भोग लगाएं.
  • भोग लगाने के बाद माता की 9 बार आरती करें.
  • हर मां का नाम स्मरण करते रहें.
  • अब व्रत का संकल्प लें.

महत्व

साल में चार बार नवरात्रि आती है. आषाढ़ और माघ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्रि होते हैं जबकि चैत्र और अश्विन प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र के ये नवरात्र पहले प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navaratri) से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है. वहीं शारदीय नवरात्र (Shardiya Navaratri) के दौरान दशहरा मनाया जाता है. बता दें, हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं.

नवरात्रि की अंखड ज्योति (Chaitra Navaratri Akhand Jyoti)

नवरात्रि की अखंज ज्योति का बहुत महत्व होता है. आपने देखा होगा मंदिरों और घरों में नवरात्रि के दौरान दिन रात जलने वाली ज्योति जलाई जाती है. माना जाता है हर पूजा दीपक के बिना अधूरी है और ये ज्योति ज्ञान, प्रकाश, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होती है.

अखंड ज्‍योति से जुड़े नियम (Akhand Jyoti Rules)

  • दीपक जलाने के लिए बड़े आकार का मिट्टी या पीतल का दीपक लें.
  • अखंड ज्‍योति का दीपक कभी खाली जमीन पर ना रखें.
  • इस दीपक को लकड़ी के पटरे या किसी चौकी पर रखें.
  • दीपक रखने से पहले उसमें रंगे हुए चावल डालें.
  • अखंड ज्‍योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है. इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें.
  • अब दीपक में घी डालें. अगर घी ना हो तो सरसों या तिल के तेल का इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं.
  • मान्‍यता अनुसार अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिए.
  • दीपक जलाने से पहले गणेश भगवान, मां दुर्गा और भगवान शिव का ध्‍यान करें.
  • अगर किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए यह अखंड ज्‍योति जला रहे हैं तो पहले हाथ जोड़कर उस कामना को मन में दोहराएं.
  • अब दीपक के आस-पास कुछ लाल फूल भी रखें.
  • ध्‍यान रहे अखंड ज्‍योति व्रत समाप्‍ति तक बुझनी नहीं चाहिए. इसलिए बीच-बीच में घी या तेल डालते रहें और बाती भी ठीक करते रहें.

Source : News Nation Bureau

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