हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए आज से हिन्दू नववर्ष शुरू हो गया है. विक्रम संवत 2076 चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा शनिवार से वासंती नवरात्र के साथ शुरू हो गया है. धूमधाम के साथ नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाएगी. ब्रह्म पुराण के मुताबिक ब्रह्मा ने इसी संवत में सृष्टि के निर्माण की शुरुआत की थी. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक शनिवार को रेवती नक्षत्र में नवरात्र शुरू हो गया है.
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चैत्र नवरात्र इस बार कई शुभ संयोगों को लेकर आ रहा है. नौ दिनों में पांच बार सर्वार्थ सिद्धि योग और दो बार रवि योग है. द्वितीया तिथि को सर्वार्थ सिद्धियोग, 11को षष्ठी तिथि पर रवियोग, सप्तमी 12 अप्रैल और रविवार नवमी को सर्वार्थ सिद्धि योग है. इन संयोगों के बनने से देवी की आराधना फलदायी होगी. महाष्टमी-महानवमी की पूजा शनिवार 13 अप्रैल को होगी. चैत्र नवरात्रि में भगवान विष्णु के मत्स्यावतार और रामावतार होता है. मां दुर्गा की आराधना के बाद आप दुर्गा आरती जरूर करें.
दुर्गा आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
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Source : News Nation Bureau