आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के दुसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है. शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया. पार्वती ने महर्षि नारद के कहने पर देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थीं. हजारों वर्षों तक की कई इस कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) पड़ा. अपनी इस तपस्या से उन्होंने महादेव को प्रसन्न कर लिया.
मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) की पूजा इस मंत्र से करें
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें.)
मां ब्रह्माचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.
मां का भोग
नवरात्रि (Navaratri 2019) के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) को दूध और दही का भोग लगाया जाता है. ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) रूप की आराधना से उम्र लम्बी होती है. इसके लिए मां को शक़्कर, सफेद मिठाई एवं मिश्री का भी भोग लगाया जा सकता है.नवरात्रि (Navaratri 2019) के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है.
Source : News Nation Bureau