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Maa Katyayani Puja Vidhi, Mantra, Katha: कृष्ण के ब्रज धाम में क्यों कृष्ण से भी अधिक है मां कात्यायनी का महत्व, आज भी ब्रज मंडल में हैं विराजमान

मां कात्यायनी की कथा में एक अलग ही रहस्य छुपा हुआ है. माता पार्वती के नौ रूपों में ये एक मात्र माँ का ऐसा स्वरूप है जिनका ब्रज धाम में अत्यंत महत्व है.

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Gaveshna Sharma
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कृष्ण के ब्रज धाम में क्यों कृष्ण से भी अधिक है मां कात्यायनी का महत्व

कृष्ण के ब्रज धाम में क्यों कृष्ण से भी अधिक है मां कात्यायनी का महत्व( Photo Credit : Social Media)

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Maa Katyayani Puja Vidhi, Mantra, Katha: आज नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. इनका स्वरूप चमकीला और तेजमय है. इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. मां कात्यायनी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण करती हैं व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है. इनकी आरधना के दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में अवस्थित रहता है. इनकी आराधना करने के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जातक को रोग, शोक, संताप व भय से मुक्ति प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो देवी कात्यायनी का पूजन, मनन करता है उसे परम पद की प्राप्ति होती है. मां की कथा भी मां की भांति ही अनुपम है. मां कात्यायनी की कथा में एक अलग ही रहस्य छुपा हुआ है. माता पार्वती के नौ रूपों में ये एक मात्र माँ का ऐसा स्वरूप है जिनका ब्रज धाम में अत्यंत महत्व है. आज भी ब्रज मंडल में माँ कात्यायनी का वास है और उन्हें कृष्ण पूजन से पहले पूजा जाता है. 

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मां कात्यायनी की पूजा विधि
- इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर मां का गंगाजल से आचमन करें.
- अब देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए उनके समक्ष धूप दीप प्रज्ज्वलित करें.
- रोली से मां का तिलक करें अक्षत अर्पित कर पूजन करें.
- मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाना चाहिए.
- मां कात्यायनी की आरती करें और पूजा के अंत में क्षमायाचना करें.
- देवी भगवती की कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती, कवच और दुर्गा चलीसा आदि का पाठ करना चाहिए.

मां कात्यायनी का पूजा मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनि।

मां कात्यायनी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने मां भगवती जगदंबा की कठिन उपासना की और उन्हें पुत्री रूप में प्राप्त करने का आग्रह किया. मां भगवती ने इच्छा पूरी करते हुए उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने और सर्वप्रथम उनके द्वारा पूजे जाने के कारण यह देवी कात्यायनी कहलाईं. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं, ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं क्योंकि भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी.

मां कात्यायनी का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को पूजन में शहद और पान का भोग जरूर लगाना चाहिए. इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. आप माता को केसरी फिरनी का भोग लगा सकते हैं. इसे आप शक्कर की जगह शहद से बना सकते हैं. यह एक बहुत ही स्वादिष्ट डिजर्ट जिसे चावल, चीनी या शहद दूध, इलाइची और नट्स डालकर बनाया जाता है.

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