Chaitra Navami Hawan Disha: आज चैत्र मास की नवमी तिथि है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां दुर्गा की नौवीं शक्ति देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है. इसके अतिरिक्त आज राम नवमी भी है. मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन श्री राम ने राजा दशरथ के यहां जन्म लिया था. आज के दिन कन्या पूजन के साथ साथ हवन का भी विधान है. अक्सर लोग राम नवमी हेतु श्री राम के लिए अलग हवन करते हैं और माता के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री के लिए अलग हवन. लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इस बात का उल्लेख मिलता है कि अगर एक हवन किया जाए और उसमें श्री राम और मां सिद्धिदात्री के लिए मंत्रोच्चार कर आहुति एक साथ डाली जाए तो हवन का फल दोगुना मिलता है. लेकिन हवन की दिशा सही होनी चाहिए. क्योंकि गलत दिशा में किया गया हवन जीवन में उल्टे और भयंकर परिणाम लेकर आता है. ऐसे में चलिए जानते हैं हवन करने की सही दिशा के बारे में.
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महानवमी मुहूर्त
नवमी तिथि का प्रारंभ- 10 अप्रैल देर रात 01 बजकर 32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक
महानवमी हवन
महानवमी को हवन करने का भी विधान है. इस दिन हवन आदि करने से घर की शुद्धि होती है और सबके जीवन में बरकत आती है, साथ ही घर का वास्तु अच्छा होता है और परिवार के सदस्यों में एक नयी ऊर्जा आती है.
नवमी के दिन तिल, जौ, गुग्गुल आदि से हवन करना अच्छा होता है. सामग्री खरीदते समय ध्यान रहे कि हवन के लिए जौ के मुकाबले तिल दो गुना होना चाहिये और अन्य चिकनाई वाली और सुगंध वाली सामग्री जौ के बराबर मात्रा में होनी चाहिये.
नवरात्र के आखिरी या फिर नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवान्न (नौ प्रकार के अन्न) का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए. इस प्रकार नवरात्र का समापन करने से इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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हवन करते समय इस दिशा की ओर करें मुख
देवी अष्टगंध के अलावा जौ, गुग्गुल, तिल इत्यादि से यज्ञ करने से उत्पन्न धुएं से न केवल व्यक्ति के दिमाग का माइंड एंड बॉडी कोऑर्डिनेशन ठीक होता है बल्कि घर के वास्तु में और घर की कलेक्टिव बायोक्लॉक में बड़े ही पॉजिटिव बदलाव आते हैं.
पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बीच बहने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगों के बीच बसे हमारे घर में अग्नि कोण, हवन के लिए सबसे अच्छा होता है. घर के अग्नि कोण, यानि दक्षिण- पूर्व का कोना, यानि घर का वो हिस्सा जहां दक्षिण और पूर्व दिशायें मिलती हों, वहां बैठकर हवन करना सबसे अच्छा होता है.
सही दिशा में किया गया हवन सही परिणाम देता है और उससे वास्तुदोष शांत होते हैं. हवन करने वाले व्यक्ति को भी दक्षिण-पूर्व में मुंह करके बैठना चाहिए.