Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी, नवमी और दशमी के दिन हवन करने का विशेष विधि-विधान है. हवन करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है और घर की सकारात्मकता बनी रहती है, साथ ही नकरात्मक शक्तियों का नाश होता है, घर के दोष भी दूर हो जाते हैं. हवन के जरीए सभी देवी-देवताओं को उनके अंश की प्राप्ति होती है. वह खुश होकर आशीर्वाद देते हैं. हवन करने के दौरान नवग्रहों के लिए आहुति भी दी जाती है. जिससे नवग्रह दोष दूर हो जाते हैं और शुभ फल की प्राप्ति भी होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में चैत्र नवरात्रि पर हवन करने के शुभ मुहूर्त के बारे में बताएंगे, साथ ही हवन सामग्री और हवन मंत्र क्या है.
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चैत्र नवरात्रि पर हवन करने का शुभ मुहूर्त
दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन हवन करने का विधि-विधान है. दिनांक 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं, जैसे कि शोभन योग और रवि योग.
1. सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 48 मिनट तक लाभ उन्नति मुहूर्त है.
सुबह 07 बजकर 48 मिनट से लेकर 09 बजकर 21 मिनट तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त है.
सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर 12 बजकर 26 मिनट तक शुभ-उत्तम मुहूर्त है.
2. महानवमी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है और रवि योग बना हुआ है.
आप दुर्गाष्टमी और नवमी को सुबह में हवन कर सकते हैं.
जानें क्या है हवन सामग्री
हवन कुंड, सूखा नारियल, काला तिल, कपूर, चावल, लौंग, गाय का घी, जौ, लोभान, शक्कर, गुग्गल, आम, चंदन, नीम, बेल, पीपल की सूखी लकड़ी, इलाइची, पलाश, गूलर, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कलावा, रक्षासुत्र, हवन, धूप, अगरबत्ती, रोली, पान के पत्ते, मिठाई, गंगाजल, चरणामृत, शहद, सुपारी, फूलों की माला आदि.
जानें क्या है हवन विधि
सबसे पहले आप जिस भी दिन हवन करेंगे, उससे पहले मां दुर्गा के स्वरूप की विधिवत पूजा करें. उसे बाद हवन करें. फिर आरती गाएं.
जानें क्या है हवन मंत्र
1. ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा, ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा.
2. ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा.
3. ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा.
4. ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.